For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! मनमोहन रूप सॅंवार रहे !!!

!!! मनमोहन रूप सॅंवार रहे !!!
दुर्मिल सवैया- आठ सगण

मनमोहन  रूप  सॅंवार  रहे, छवि  देख रहे  जमुना जल में।
सब ग्वाल कमाल धमाल करें, झट कूद पड़े जमुना जल में।।
अधरों पर  ज्ञान भरी  मुरली, रस धार  बहे जमुना जल में।
गउ-ग्वालिन डूब गयीं रस में, तन  तैर रहे जमुना जल में।।

के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:25am

बहुत बढ़िया आदरणीय केवल प्रसाद जी बधाई आपको

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:34pm

आ0 मीना जी ,  सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:34pm

आ0 अरून अनन्त भाईजी,  सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:32pm

आ0 आशुतोष भाईजी,  सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:29pm

आ0 सुशील भाईजी,  सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:29pm

आ0 भण्डारी भाईजी,  सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 7:27pm

आ0 गोपाल भार्इ जी, चन्द्र बिन्दी मान कर ही संवार लिखा है। सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Meena Pathak on November 14, 2013 at 12:15pm

बहुत सुन्दर .. बधाई आप को | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:51am

आदरणीय केवल भाई जी बहुत ही सुन्दर दुर्मिल सवैया रचा है आपने पढ़कर मन प्रसन्न हो गया वाह बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 14, 2013 at 11:34am

 आदरणीय केवल जी ..कान्हा के रस में डूबती शानदार रचना ..गउ-ग्वालिन डूब गयीं रस में, तन तैर रहे जमुना जल में।..इन पंक्तियों ने मन मोह लिया सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service