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गज़ल - नजरों को नजारे मिल गये // वेदिका

वज्न / २१२२ २१२२ २१२ 

चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये 

गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.

 

एक धागा बेल के धड़ से मिला 

बेसहारों को सहारे मिल गये 

.

हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी 

और तुम बाहें पसारे मिल गये

.

डूबती नैया के तुम पतवार हो 

साथ तेरे हर किनारे मिल गये 

.

देख तुमको, जी को जो ठंडक हुयी 

यूँ कि नजरों को नजारे मिल गये 

.

सच अगरचे, देख के अनदेख हो 

झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये    

                  

                             गीतिका ‘वेदिका’      

 

मौलिक / अप्रकाशित 

 

 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 6, 2013 at 10:30am

//चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये 

गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.//  वाह बहुत खूबसूरत मतला है गीतिका जी दाद क़ुबूल करें

//हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी //

और तुम बाहें पसारे मिल गये//  यहाँ कहन कुछ स्पष्ट नही है गीतिका जी

//डूबती नैया के तुम पतवार हो 

साथ तेरे हर किनारे मिल गये // वाह खूबसूरत रवाँ शेर है

Comment by Saurabh Srivastava on August 6, 2013 at 10:00am

और तुम बाहें पसारे मिल गए! वाह!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 6, 2013 at 9:36am

बहुत सुन्दर सुकोमल गज़ल प्रिय गीतिका जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by वेदिका on August 6, 2013 at 8:30am

आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी! 

आपका आभार आपने रचना को सराहा, श्रम सार्थक हुआ

सादर !! 

Comment by वेदिका on August 6, 2013 at 8:29am

आदरणीया सरिता जी! 

आपका शत शत आभार, आपने गज़ल के श्रम को अनुमोदित किया

साभार !! 

Comment by वेदिका on August 6, 2013 at 8:27am

आदरणीय अभिनव जी! 

आप जैसे गज़लकार  से अनुमोदन मिलता है तो गर्व होने लगता है,

आपका आभार आपने प्रयास को सराहा

सादर !! 

Comment by Pankaj Trivedi on August 6, 2013 at 7:45am

एक धागा बेल के धड़ से मिला 

बेसहारों को सहारे मिल गये
बहौत खूब !

Comment by Sarita Bhatia on August 6, 2013 at 7:03am

वाह गीतिका जी बहुत खूब बढ़िया 

बधाई सविकारें 

Comment by Abhinav Arun on August 6, 2013 at 4:20am

वाह आदरणीया ग़ज़ल का ये अंदाज़ बहुत खूब हुआ है ! हर दिल की गहरे से सायास निस्सृत है ...सहज सुन्दर प्रवाह भाव का सशक्त बन पड़ा है | हर शेर उम्दा है पर आखिरी शेर पर विशेष बधाई -

सच अगरचे, देख के अनदेख हो 

झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये    

                  क्या कहने लाजवाब !! हार्दिक शुभेच्छाएं !!

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