For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे ( प्रथम प्रयास )

दोहे ( प्रथम प्रयास ) 

दर दर भटके पूजता, तू महंत फकीर ।

चरण छुये माँ-बाप के, बनती है तकदीर ॥ 1 ॥

प्यासे को पानी मिले, भूखा जाये जीम ।

ऐसे घर मे लक्ष्मी, कृपा करे आसीम ॥ 2 ॥

जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ।

जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥

छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।

जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥

बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान ।          

बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥

महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान ।

धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥  

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥ 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on July 26, 2013 at 10:22am

आदरणीया महीमा जी आप.का बहुत बहुत धन्यवाद आप को दोहो का भाव पसन्द आया  ,,,शुक्रिया 

Comment by MAHIMA SHREE on July 25, 2013 at 11:45pm

सुंदर और अर्थपूर्ण दोहों के लिए बहुत -२ बधाई आदरणीय नेमा जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 25, 2013 at 11:07am

सुन्दर भाव रचित दोहे, हार्दिक बधाई श्री बसंत नेमा जी | कुछ जगह मात्रा भार और गेयता बाधित लग रही है, जैसे -

जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ---------  जाँए ,आँए  में 4-4 मात्राए गिनी जाएगी 

जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥

छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।

जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥

बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान ।    विषम चरण में 14 मात्राए हो रही है (रूप) में रू *बड़ी मात्रा का आयेगा |       

बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥

महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान ।  विषम चरण में महंत = 4,कहे =3, बसंत में =4,कहे=3 = कुल 14 मात्राए हो रही है 

धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥   साथ ही सम चरण में तू (बड़ी मात्रा का होता है, जिससे १२ मात्राए हो जायेगी 

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:40am

आदरणीया कुंती जी ..आभार शुक्रिया आप को दोहे पसन्द आये .... कृपा मेरी गलतियो को भी बताये ताकि मै एक सफल और सही प्रयास कर सकू । 

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:38am

आ0 राम शिरोमणी जी बहुत बहुत शुक्रिया ... आभार .. कृपा कोई त्रुटि हुई हो तो उसे भी अंकित करे ........

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:37am

आ0 श्याम जी धन्यवाद आप का आशिर्वाद मिला ... शुक्रिया .... 

Comment by Shyam Narain Verma on July 24, 2013 at 5:33pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by ram shiromani pathak on July 24, 2013 at 3:33pm

सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय बसंत जी// प्रयासरत रहें  ///हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on July 24, 2013 at 3:12pm

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।..................सत्य वचन.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service