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!!! नारी तुम स्तुति की देवी हो !!!

नारी तुम स्तुति की देवी हो!
मां वसुधा सी प्यारी तुम,
संस्कृति की श्रध्दा देवी हो।

नारी तुम प्रगति प्रदर्शक हो!
कर में वीणा-सुरधारा तुम,
चंचलमय मृदुला देवी हो।

नारी तुम धैर्य-बलशालिनी हो!
अबला सीता क्षमा दान तुम,
मां शक्ति की दुर्गा देवी हो।

नारी तुम राधा सी प्यारी हो!
मीरा बाला सी अनुरागिनी तुम,
सती सावित्री सी देवी हो।

नारी तुम देश की कीर्ति हो!
सच्चे माने में इन्दिरा तुम,
भारत-सौभाग्य की देवी हो।

नारी तुम रिश्तों की बंधन हो!
दादी-मां-बहन-पत्नी-पुत्री तुम,
क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 9:42pm

आ0 मनोज जी,    आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by manoj shukla on April 27, 2013 at 8:46pm
आदर्णीय आप की रचना , नारी के प्रति आपके आदरभाव को प्रकट करता है. इस रचना के माध्यम से आपने जो प्रश्न उठाया है, विचारणीय है..... बधाई स्वीकार करें
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 7:33pm

आ0  श्याम नारायण जी,  यह रचना हमारी बहुओं को समर्पित है।  आपको रचना अच्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 7:31pm

आ0  लड़ीवाला जी,  यह रचना हमारी बहुओं को समर्पित है।  आखिर इन्हीं वहुओं के प्रति ही समाज इतना बुरा वर्ताव क्यों करता है?   यह घृणित कार्य अतिअशोभनीय व निन्दनीय है।    आपको रचना अक्ष्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 7:29pm

आ0  कुशवाहा जी,  यह रचना हमारी बहुओं को समर्पित है।  आखिर इन्हीं वहुओं के प्रति ही समाज इतना बुरा वर्ताव क्यों करता है?   यह घृणित कार्य अतिअशोभनीय व निन्दनीय है।    आपको रचना अक्ष्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 7:15pm

आ0 कुन्ती जी,  जी! मैंने भी यही प्रश्न किया है कि जब बहू की बात आती है तो वह सारी मान-मार्यादाएं, संस्कृति-संस्कार, रिश्ते-व्यवहार, लक्ष्मी-सौभाग्य  आदि सब कहां खो जाते हैं?   एक नारी के हाथों, नारी के समक्ष ही नारी को प्रताडि़त किया जाता है।  यह अतिअशोभनीय व निन्दनीय है। आपको रचना अक्ष्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by Shyam Narain Verma on April 27, 2013 at 3:31pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2013 at 2:09pm

नारी के प्रति आदर भाव दर्शाने हेतु बधाई | वास्तव में भारतीय संस्कृति में नारी का बहुत ऊंचा स्थान है, वह सौभाग्य की देवी है,

वह शक्ति की देवी माँ दुर्गा है, वह श्रद्धा की देवी है, वह अन्नपूर्णा है, सती सावित्री, सती सुलोचना, ममतामयी माँ, और वात्सल्य 

की देवी है, करुना की सागर है, उसके प्रति श्रद्धा नमन | 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 27, 2013 at 2:00pm

नारी तुम स्तुति की देवी हो!
मां वसुधा सी प्यारी तुम,
संस्कृति की श्रध्दा देवी हो।

नारी तुम प्रगति प्रदर्शक हो!
कर में वीणा-सुरधारा तुम, 
चंचलमय मृदुला देवी हो।

नारी तुम धैर्य-बलशालिनी हो!
अबला सीता क्षमा दान तुम,
मां शक्ति की दुर्गा देवी हो।

नारी तुम राधा सी प्यारी हो!
मीरा बाला सी अनुरागिनी तुम, 
सती सावित्री सी देवी हो।

aadarniy केवल प्रसाद जी 

सुन्दर भाव 

बधाई 

Comment by coontee mukerji on April 27, 2013 at 11:09am

नारी तुम रिश्तों की बंधन हो!
दादी-मां-बहन-पत्नी-पुत्री तुम,
क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।............... अति  सुंदर  लेकिन भाई साहब ! बहू सी अग्नि देवी क्यों ? सादर कुंती .

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