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पानी था, या हवा था,
वो किस दिल, की दुआ था,


ठंडा मौसम, कड़ी लू
वो गम था, या दवा था,

 

लगता था, वो खुदा पर,
किस्मत था, या जुआ था,

 

बेवजह तबियत, जुदा थी,
शायद हमे, कुछ हुआ था,

 

बहता आंसू, मेरा ही,
घायल नस को, छुआ था.

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 3:40pm

आदरणीय आप का स्नेह मिला टिपण्णी के जरिये, बहुत बहुत शुक्रिया, बस इसी तरह से आप सब अगर साथ रहा तो वो मंजिल दूर नहीं है, यहीं कहीं है बस दिखाई नहीं दे रही है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2012 at 2:13pm

भाई अरुण शर्मा, बहुत ही उम्दा.  संयत, सहज और सुरुचिपूर्ण. 

इस सधे हुए प्रयास के लिये मेरी हार्दिक बधाई लीजिये. वैसे कोशिश कीजियेगा तो ये ग़ज़ल और निखर आयेगी.

और, संदीपभाई के कहे को स्वीकार कीजिये.  बहरहाल, बहुत सुन्दर प्रयास किया है आपने.

शुभेच्छाएँ.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 12:19pm

शुक्रिया मित्र अरुण हौंसला आफजाई के लिए.

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 12:16pm

आपका प्रयास अच्छा है इस बार ! करते रहिए ये विधा अभ्यास से ही सधेगी ! बाकी अभी के लिए संदीप जी की बात ध्यान दीजिए !

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 12:12pm

संदीप भाई एक बार फिर नज़र भर देख लेता हूँ, आपको कोई त्रुटी दिख रही हो तो कृपया अवगत कराएँ.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:09pm

बेवजह तबियत, जुदा थी,
शायद हमे, कुछ हुआ था,

 इस शेर को एक बार फिर देख लीजिये बाकी के शेर उम्दा हैं

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 12:08pm

संदीप भाई आपका स्नेह मिला हौंसला बढ गया. तहे दिल से शुक्रिया........

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:06pm

इस बार प्रयास सराहनीय है अरुण जी .....................
इस ग़ज़ल के लिए दाद हाजिर है

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 12:02pm

आदरेया सीमा जी बहुत बहुत शुक्रिया आभार.

कृपया ध्यान दे...

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