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गज़ल - आदमी जो बेतुका है

वो अगर  मुझसे खफा है

हक है उसको क्या बुरा है

 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 

जो अपरिचित  है नदी से

बाढ़   पर  वो  बोलता  है

 

है   यकीं   चारागरी   पर

हो  जहर  तो  भी  दवा है

 

देख  कर  मुँह  फेर लेना

कुछ  पुराना   आशना  है

 

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है

 

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है

 

 

..................... अरुन श्री !

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Comment

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Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:54pm

डा. सूर्य बाली सर , आपके द्वारा उदृत शे'र मेरा भी पसंदीदा है ! सराहना हेतु धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:53pm

राजेश कुमारी मैम , इस शे'र पर पूरे नंबर देने के लिए धन्यवाद ! अब ये भी बता दीजिए कि किस शे'र पर नंबर कटे हैं ! :-)) :-))
आपकी सराहना ने गौरवान्वित किया ! सादर !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:51pm

संदीप जी , गज़ल को मान देने के लिए धन्यवाद ! आप सब की यही हौसला अफजाई कुछ और बेहतर करने का जज्बा भर देती है मन में !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 3:30pm

विश्वास से भरी इस ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ.  अरसे बाद आपको सुनना बहुत अच्छा लग रहा है.  बहुत खूब. 

कुछ अश’आर तो एकदम से बाँध लेने वाले हैं.. .    सच कहूँ तो कई बार पढ़ गया आपकी यह ग़ज़ल.

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 19, 2012 at 2:30pm

अरुण भाई नमस्कार ! अच्छी ग़ज़ल कही है

जो अपरिचित  है नदी से, बाढ़   पर  वो  बोलता  है...बहुत उम्दा शेर है।

दाद कुबूल करें !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:49pm

अरुन अनन्त साहब ! पसंदगी जाहिर करने के लिए शुक्रिया मित्र !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 19, 2012 at 1:16pm

बहुत सुन्दर अरुण जी 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 इन पंक्तियों पर तो पूरे नंबर 

 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 19, 2012 at 12:59pm

वाह अरुण जी वाह! छोटी बह्र में क्या शानदार अश'आर कहे हैं आपने| दिल ख़ुश हो गया! ख़ास तौर पर ये दो शे'र बहुत ही पसंद आये|

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है ----> जीने के लिए एक वजह ही काफ़ी है.. :-)

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है ---> कड़वी हक़ीक़त बयां कर दी आपने बहुत ख़ूब...

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 12:56pm

बेहद सुन्दर रचना अरुण जी , बधाई मित्र.

कृपया ध्यान दे...

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