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देख कहीं तेरी देहरी सूनी ही न रह जाये माँ

देख कहीं तेरी देहरी 

सुनी ही न रह जाये माँ 
तेरी बेटी को परखने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है..................
 
देख कहीं तेरे सपने 
सपने ही न रह जाये माँ
तेरी बेटी का मौल लगाने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है...............
 
 
संभल जा , बढ़ा ले हिम्मत अपनी
दिल को और थोडा मजबूत कर ले 
लगेगा बाजार अभी तेरे घर पर भी 
लेकिन पहले मेरी कीमत तो तय कर ले 
पूछ ले बाबा से कि अबकी कितना 
मेरा भाव बतायेंगे.........
कर देंगे उनकी मांगो को पूरा
या अपना सिर झुकायेंगे
देख ले कहीं 
इस बार बाबा टूट न जाये माँ 
तेरी बेटी का सौदा करने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं.........................
 
कहूँ  क्या मैं  माँ , करू  क्या
कुछ समझ  नहीं  आता 
शिक्षा  जरुरी  है या दहेज़  
कोई  नहीं बताता  ........
कहते  है सब  ये  कि 
हमें  कुछ नहीं चाहिए  
और ले जाते  है सब कुछ लूटकर  वो  लोग
जिन्हें मांगना ही नहीं आता 
देख कही  
ये उम्मीद भी टूट न जाये माँ 
तेरी बेटी से उम्मीद लगाने
उम्मीदर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं.................
 
याद  है माँ तुम्हे  , एक  दिन  कहा  था  तुमने  
कि अपनी अपनी किस्मत  को खुद  ही लिखना  है 
मिटा   देना  है उन  लकीरों  को अपने  हाथो  से 
जो  गम  और निराशा  से भरी हो.......
जिन्दगी में हर दम बस आगे बढ़ना है 
न तोलना कभी खुद को दौलत की तराजू में 
क्योंकि तुम्हे ही हमारा सम्मान बनना है .......................
 
देखती हूँ आज जब तुम्हारा सम्मान जाते 
तो खुद को ही दोषी पाती हूँ 
देखती हूँ जब दौलत के भूखे लोगो को 
अपना मौल लगते तो 
अपनी शिक्षा का भी मैं मौल लगती हूँ 
देख कहीं 
आज मैं भी हार न जाऊ माँ 
तेरी बेटी की किस्मत का फैसला सुनाने
आज फिर कुछ लोग आ रहे हैं.............
देख कहीं................
 
जुड़ जाये ये उम्मीद अगर 
या मान जाये वो कम कीमत में 
करो विदा जब तुम मुझको घर से माँ 
कर देना मुझे तभी विदा तुम अपने इस दिल से...... 
 
समझा देना तभी दिल को अपने 
जी भर कर तुम रो लेना 
चढ़ जाऊ मैं अगर कल भेंट दहेज़ की 
बस तब तुम आंसू न बहाना 
करे बाबा जब मेरी बाते 
तब  तुम खुद पर काबू रखना 
याद न करना कभी भी मुझको 
न बाबा को याद दिलाना 
रखना हिम्मत शायद कल कुछ बदले 
रीति बदले , या रिवाज बदले 
या शायद इंसान ही बदले 
कुछ न बदला अगर कभी 
तो फिर शायद भगवान ही बदले 
बहुत हुई अब कल की बाते 
चल अब थोड़ी तैयारी करले 
देख कहीं 
कुछ कमी न रह जाये माँ
तेरी बेटी को अपना बनाने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं ...............................!!
    

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Comment by Sonam Saini on August 17, 2012 at 11:23am

शुभकामनाओ व अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया महिमा जी

Thanks a lot.

Comment by Sonam Saini on August 17, 2012 at 11:22am

इतनी सारी तारीफ करने के लिए धन्यवाद योगी सर

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2012 at 5:34pm
वाह सोनम जी .. आप पे  मुझे गर्व हो रहा है .. शब्द नहीं है मिल रहें .. आपकी कविता ने ह्रदय को झिंझोर दिया है और मेरी मुट्ठियाँ गुस्से से भींच गयी है ..
Godbless you.. बहुत ही सशक्त रचना... बधाई और शुभकामनायें  
Comment by Yogi Saraswat on July 3, 2012 at 3:55pm

मन की भावनाएं , समाज की हकीकत लोगों के असली चेहरे और उनकी मानसिकता , सब को उजागर करती हुई रचना ! सच का आइना दिखाती बहुत सुन्दर रचना , जितनी भी तारीफ करी जाए कम पड़ेगी ! सलूट करता हूँ आपको !

Comment by Sonam Saini on July 2, 2012 at 12:32pm

Thank you very much Raj ji v Arun ji.

Comment by Sonam Saini on July 2, 2012 at 12:31pm

नमस्कार राजेश मैम

जी सही कहा आपने की लडकियों और लडको दोनों को ही मिलकर इस समस्या को दूर करना होगा !
जब दोनों जागरूक होंगे तभी देश से ये बहुत बड़ी लेकिन छोटी दिखने वाली समस्या ख़त्म होगी !
Comment by Sonam Saini on July 2, 2012 at 12:08pm

Dhanyvad Avinash Begde sir 

Comment by Sonam Saini on July 2, 2012 at 12:05pm

Thank you Saurabh Pandey sir 

Comment by Sonam Saini on July 2, 2012 at 12:03pm

Thank you very much arun kumar nigam sir.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 2, 2012 at 12:28am

बोली

डोली

रो ली

होली

बोली लग डोली उठी, रो ली बिटिया संग

माँ के मन होली जली,नीति नियम बेढंग ||

बहुत ही मार्मिक चीत्कार...................

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