For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sonam Saini's Blog (25)

खेल शब्दो का अजीब नही होता ???

कभी कभी

शब्दो के साथ

खेलने वाले ही

भूल जाते हैं

शब्दो की बाजीगरी

रात-दिन जो

रहते हैं शब्दो के बीच

कभी कभी उनको ही

नही मिलते शब्द

कहने को अपनी बात

जाहिर करने को

अपने जज्बात ....

ऐसा लगता है मानो

रूठ गया हो खुदा भी हमसे 

उनकी ही तरह

जैसे वो रूठे हैं हमसे

सिर्फ कुछ

शब्दो के कारण …

एक ख्याल

बार-बार आता है

मन के छोटे से घर में

कि क्यों नही होता ऐसा

कि जज्बात को …

Continue

Added by Sonam Saini on December 5, 2013 at 4:30pm — 17 Comments

क्या पता सावन भी किसी के लिए रोता होगा

देख कर सावन को

आँखे भर आती हैं

क्या पता सावन भी

किसी की याद मे रोता होगा

मेरी ही तरह करता होगा

इंतज़ार किसी का ….

टूट जाने पर वादा

मेरी ही तरह रोता होगा

क्या पता सावन भी

सावन में किसी के लिए

तरसता होगा ………

करके वादा गया होगा कोई

लौट कर आऊंगा उस महीने में

जिसमे बरसात होगी ……

ऐ मेरे चाहने वाले

अब तो तुमसे

बरसात में ही मुलाक़ात होगी

टूटता होगा वादा तो

दिल भी टूट जाता होगा

दर्द के…

Continue

Added by Sonam Saini on July 28, 2013 at 11:30am — 7 Comments

तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके

 तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके 

.

आँखों से आंसू बहते है 
धीरे- धीरे, चुपके से 
सब आंसू दुपट्टा पी लेता है 
कही कोई देख न ले ......
.
कितनी बाते हैं करने को
फिर भी लब सील के बैठी है
दर्द के साये में पलती धड़कन
चुपचाप सी चलती धड़कन
कहीं कोई सुन न ले ........
.
मांगी जब भी सूरज से…
Continue

Added by Sonam Saini on July 8, 2013 at 9:30pm — 11 Comments

बारिश की बूंदे

प्यासी धरती पर 

बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे 
सोंधी - सोंधी सी खुशबु से 
महक उठता था ......
मेरे घर का आँगन .....
खिल उठते थे बगीचे में 
लगे पेड़ - पोधे .....
और खिल उठता था 
हम सब का मन ......
प्यासी धरती पर 
बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे ........
घर के बाहर बहता था वो 
छोटा सा दरिया ......
अक्सर चला करती थी…
Continue

Added by Sonam Saini on June 28, 2013 at 1:11pm — 12 Comments

इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है

इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है

दबे होठो से ये मुस्कुराना क्या है

बता भी दो अब कि क्यों

कटती है रात ख्वाबो में किसी के

बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है ...…

Continue

Added by Sonam Saini on June 18, 2013 at 12:30pm — 10 Comments

ये आदत अच्छी नही तुम्हारी

ये आदत अच्छी नही तुम्हारी

मेरा दिल जलाने की

तुम्हारा ही घर जलता है

आदत से बाज आ जाओ ....



न सुनते हो न समझते हो

बिना बात के मुझ पर बरसते हो

तुम्हारा ही चैन खोता है

आदत से बाज़ आ जाओ…

Continue

Added by Sonam Saini on June 6, 2013 at 2:20pm — 16 Comments

खाली बोतल..

सड़क  पर पड़ी

खाली बोतल

लोग आते- जाते

ठोकर मार जाते हैं .....

और इस तरह

यहाँ से वहाँ भटकती  ....

न जाने कहाँ से कहाँ

पहुँच जाती है

ये खाली बोतल…

Continue

Added by Sonam Saini on May 30, 2013 at 11:30am — 8 Comments

आज हमे दोनों वक़्त खाना मिल जायेगा

बंज़र होती धरती

किसान बे-हाल है

सोच रहा है इस बार भी पानी मिलेगा

मेरी फसल को या नही

या गुजरे कई सालो जैसा ही

ये साल है .........

सोच रहा है ......

क्या कम होगा .......?????…

Continue

Added by Sonam Saini on May 17, 2013 at 4:30pm — 18 Comments

जीवन में जिन्दगी का माँ एहसास हो तुम .........

तपती धुप धूप में

छाँव हो तुम

मेरे लिए

बहुत खास हो तुम

तुम्हारे एहसास भर से

दूर हो जाती है हैं मेरी…

Continue

Added by Sonam Saini on May 7, 2013 at 11:00am — 22 Comments

एक बार वो लड़की बनकर तो देखे.....

तेरे सपनो की कोई औकात नहीं 

मेरे सपने हैं बहुत बड़े

मुझसे जब यह बात कही उसने 

मेरे दिल ने बस एक बात कही......

एक बार वो लड़की बनकर तो देखे

खुद- ब- खुद समझ जायेगा मेरी मज़बूरी को

क्यों…

Continue

Added by Sonam Saini on April 17, 2013 at 10:30am — 8 Comments

मिट्टी के घरोंदे टूट गये .......

मिट्टी के घरोंदे टूट गये

इंटो के महल बनाने मे

हम भूल गये संस्कृति अपनी

खुद को आधुनिक बनाने मे

पापा का प्यार न याद रहा

माँ की ममता भी भूल गये

ये बच्चे जो मशगुल हुए

खुद की पहचान बनाने में…

Continue

Added by Sonam Saini on April 9, 2013 at 3:30pm — 6 Comments

वक़्त बदल देता है दिल की भावनाओ को भी

वक़्त बहता रहा

कभी पानी की तरह

कभी हवा के मानिद

हम भी बहते रहे बहाव में इसके  

कभी फूल बनकर

कभी धूल बनकर .....

कब जिदगी के उस छोर से हम

इस छोर पर आ गये…

Continue

Added by Sonam Saini on April 4, 2013 at 11:30am — 7 Comments

भगवान का अस्तित्व ......?

जिन्दगी एक कठपुतली सी है

जिसकी डोर .....

वो जो ऊपर बैठा है

उसके हाथो में है

वो जो दीखता नही

मगर है तो सही .....

कोई कहता है कि

भगवान नही हैं 

और कोई…

Continue

Added by Sonam Saini on March 19, 2013 at 9:30am — 7 Comments

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा ....

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा

वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला



चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया

प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला 



चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया 

कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला…



Continue

Added by Sonam Saini on March 13, 2013 at 10:08am — 14 Comments

लोग कहते हैं कि मैंने शराब पी है ........

आँखे चढ़ी -चढ़ी सी हैं

आज मेरी ......

लोग कहते हैं कि

मैंने शराब पी है .....

हाँ तेरी यादे

किसी नशे से कम भी तो नही

जब भी चढ़ता है नशा

तेरी यादो का मुझ पर

मेरी…

Continue

Added by Sonam Saini on March 8, 2013 at 3:30pm — 6 Comments

किस्मत भी मुझको चिढाने लगी है दोस्तों ..........

मौत भी अब तो बहाने बनाने लगी है दोस्तों

देखकर उनको ये भी नखरे दिखाने लगी है दोस्तों



हार जाना ही था शायद हिम्मत को मेरी

किस्मत भी मुझको चिढाने लगी है दोस्तों



क्या थी जिन्दगी और क्या हो गई है

रौशनी भी अब डराने लगी है दोस्तों



खो गये मेरे ख्वाब इस शहर में न जाने कहाँ

हकीक़त ही बस अब भाने लगी है दोस्तों



हो गई दोस्ती मेरी गमो से कुछ यूँ

खुशियाँ अब मुझको रुलाने लगी है दोस्तों 



कहो तुम ही अब अंजाम-ए-जिन्दगी क्या हो…

Continue

Added by Sonam Saini on November 2, 2012 at 1:55pm — 12 Comments

ग़ज़ल-- एक छोटी सी कोशिश

 देखते ही देखते दिन रात बदल जाते है

पल में लोग अपनी बात बदल जाते है



यूँ बदल गई आब-ओ-हवा मेरे शहर की

घर देख कर यहाँ अब ताल्लुकात बदल जाते हैं



न कर गुरुर बन्दे मेयार-ए-ख़ुद पर

कौन जाने कब किसके हालत बदल जाते हैं



रह गई है मौहब्बत की इतनी ही हकीक़त

रोज आशिको के अब जज्बात बदल जाते हैं



होती है आरजू-ए-मुकतला यहाँ सभी को 

तकदीरे कभी तो कभी ख्वाहिशात बदल जाते है



क्या करें जहाँ में ऐतबार अब किसी का

जब…

Continue

Added by Sonam Saini on October 19, 2012 at 9:34am — 13 Comments

वो कॉलेज की दुनिया

वो कॉलेज की दुनिया

दोस्तों का फ़साना

बड़ा याद आता है

कॉलेज का जमाना .........

सब दोस्तों का इंतजार करना

थोडा लेट होने पर भी

कितना झगड़ना

सुबह- सुबह पहली क्लास में

सबसे आगे पहली बेंच पर बैठना

कितना याद आता है

लास्ट लेक्चर में थ्योरी सुनते- सुनते

चुपके से सो जाना .........

वो कॉलेज की दुनिया

दोस्तों का फ़साना ..............



वो मोटी-मोटी सी किताबे

अकाउन्ट्स की भाषा

आँखों में पलते बड़े बड़े सपने

मगर फिर…

Continue

Added by Sonam Saini on October 4, 2012 at 10:44am — 10 Comments

क्या लिखूं अब मैं .....

क्या लिखूँ अब मैं

सब तो लिख दिया मैंने

अपने दिल की बाते

टूटे ख्वाबों की यादे

सब..............

क्या लिखूँ अब मैं................

सब तो लिख दिया मैंने.............................



जिन्दगी----- कल भी तो ऐसी ही थी

कुछ भी तो नही बदला

कल भी जी रहे थे बिन अपनों के हम

और आज भी तो जी ही रहे है............

कुछ भी तो नही बदला

क्या लिखूँ अब मैं......

सब तो लिख दिया मैंने..............



जब सीखा था अपने दिल को कागज़ पर…

Continue

Added by Sonam Saini on September 26, 2012 at 11:00am — 5 Comments

मेरे सपनो का भारत

मेरे सपनो का भारत ऐसा तो नहीं था

इतना कमजोर , इतना खोखला

ऐसा देश तो मैंने कभी चाहा ही नही था

बाहर से जितना साफ अंदर से उतना ही गन्दा

मेरे सपनो का भारत ....................



सोचा था मैंने तो कि ये चमन खूब महकेगा

अपने परिंदों के चहकने से खूब चहकेगा

मगर ये क्या --- इसे तो इसके ही फूलो ने कांटे चुभोये

लहू देशभक्तों का बो कर भी गद्दार उगाये

मेरे सपनो का भारत ये तो नहीं था

मेरे सपनो का भारत ऐसा ......................

.

मैंने चाहा…

Continue

Added by Sonam Saini on September 10, 2012 at 9:30am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service