For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरसी छंद - "अरुणोदय"

1-
धीरे-धीरे आसमान का, रंग हो रहा लाल।
अतिमनभावन दृश्य सुहावन,है अरूणोदय काल।।
पसरा था जो गहन अँधेरा, अब तक चारों ओर।
उसे चीरकर आयी देखो, प्राणदायिनी भोर।।
2-
नवप्रभात ने फूँक दिए ज्यों, सकल सृष्टि में प्राण।
मंगलमय हो गया सबेरा, मिला तिमिर से त्राण।।
जलनिधि की जड़ता का जैसे, किया सूर्य ने अंत।
जीव-जंतु जड़-जंगम जलधर, हुए सभी जीवंत।।
3-
सागर की गहराई में भी, जीवन है संगीन।
घड़ियालों के बीच वहाँ पर, प्राण बचाती मीन।।
सूरज के आ जाने से अब, उड़गन हुए मलीन।
रणभेरी सुनकर ही जैसे, भाग रहे बलहीन।।
4-
नीड़ों से निकले हैं पंछी, करते कलरव गान।
पंख पसारे आसमान में, आया नवल विहान।।
सूरज के आने से पुलकित,धरा और आकाश।
जिसने बिखराई है आभा,करके तम का नाश।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on March 15, 2019 at 9:37am
  1. आदरणीय सौरभ पाण्डे जी,रचना पर आपकी उपस्थिति व सुंदर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया पाकर मैं अभिभूत हूँ; सृजन सार्थक हुआ। तहेदिल से आपका शुक्रिया।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2019 at 5:15pm

आदरणीय हरिओम जी, आपकी सरसी छंद में निबद्ध रचनाएँ मनभावन बन पडी हैं. अरुणॊदय की वेला का मनहारी वर्णन हुआ है. 

हार्दिक बधाइयाँ 

Comment by Hariom Shrivastava on March 14, 2019 at 10:53am

आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी,आपकी उपस्थिति व उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थकता हुआ। हार्दिक आभार।

Comment by Hariom Shrivastava on March 14, 2019 at 10:52am

आदरणीय समर कबीर साहब,आपकी उपस्थिति व उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थकता हुआ। हार्दिक आभार।

Comment by surender insan on March 13, 2019 at 7:47pm

वाह जी वाह बहुत अच्छे सरसी छंद लिखे आपने ।बहुत बहुत बधाई। सादर नमन जी।

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 11:51am

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छे सरसी छन्द लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service