For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये क्या है जो मुझे चलाती?

कभी मंद कभी तेज भगाती

क्या पाया क्या पाना चाहा,

हरदम मुझको याद दिलाती

विधना ने क्रंदन दुःख लिखा,

यह प्रेरित करती हर्षाती

कभी शिथिल होकर बैठा जो,

उत्प्रेरित कर मुझे जगाती

जलते जीवन में भी हँसकर,

बढ़ते जाना मुझे सिखाती

बीत समय जाएगा इक दिन,

यह धनात्मक सोच दिखाती

कहकर क्या मैं इसे पुकारूँ?

जिजीविषा यूँ तो कहलाती

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 22, 2017 at 8:15pm

आदरणीय श्री Ravi Shukla जी, हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार। असल बात ये है कि विधाओं की समझ अभी तक मुझे नहीं हुई है, बस जो बातें मन में आतीं हैं उनको पद्य में लिखने की कोशिश करता हूँ। प्रयासरत हूँ कि थोड़ा समय निकाल कर छंद, विधा आदि के बारे में कुछ ज्ञान अर्जित कर लूँ।

Comment by Ravi Shukla on August 22, 2017 at 5:16pm

अादरणीय किशोर जी आपकी रचना प्रस्‍तुति के लिये बधाई आपने इसे किस विधा में लिखा है यदि गजल है तो उसके अरकान पहले लिख देते आप तो इस पर और भी चर्चा हो जाती अभी इसका कोई स्‍पष्‍ट स्‍वरूप नहीं समझ आ रहा ।

Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 21, 2017 at 9:33pm

Samar kabeer  साहब, हार्दिक आभार! सादर नमस्कार।

Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 6:26pm
जनाब श्याम किशोर सिंह'क़रीब'जी आदाब,इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 20, 2017 at 10:52pm
प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार श्रीमान सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी।
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:21pm
आद0 श्याम किशोर सिंह जी जिजीविषा को परिभाषित करती उम्दा सृजन पर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service