For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आर टी ओ बिभाग की हकीकत

कविता 3
परिवहन बिभाग
एक दिन होकर तैयार
अपनी नयी नवेली कार पर सवार
मैंने बनाया लखनऊ शहर घूमने का बिचार
लाजवन्ती नव् बिवाहिता के हौले हौले हटते घूंघट की तरह
हौले हौले गाड़ी को आगे बढ़ाया
गोमती नगर से ज्यों ही गाड़ी आगे बढ़ाई
पोलिश चौकी नजर आयी
सिपाही से होते ही नजरें चार
सिपाही बोला आईये सरकार
हमने कहा फरमाईये
उसने कहा
आर सी और बीमा के कागज़ दिखाईये
मैंने बड़े आत्म बिश्वास से दिखाए
सिपाही ने जब जांचा तो सही पाये
सिपाही ने चौकी इंचार्ज की नजरों में झाँका
चौकी इंचार्ज ने स्थिति को भांपा
आँखों आँखों में दोनों बतियाये
सिपाही बोला प्रदूषण के कागज़ लाएं
मैने ज्यों ही कागज़ बढ़ाया
सिपाही चौकी इंचार्ज की तरफ देख मुस्कुराया
उसको कागज़ दिखाया
चौकी इंचार्ज ने मुझे बुलाया
प्रदूषण के कागज़ के
नवीनीकरण न होना बताया
हमने कहा करवा लेंगे
हाँ जरूर करवा लीजियेगा
फिलहाल पेनाल्टी तो कटवाईए
लाईये हज़ार रुपये लाईये
मैं असमंजस में पड़ा
मुझे लगा ये बोझ बड़ा
मैंने कहा मैं बनवा लूँगा
उसने कहा पेनल्टी बिन जाने न दूंगा
मैं इस बोझ से खुद की बचाना चाहता था
चौकी इंचार्ज कुछ कमाना चाहता था
जब किसी तरह बात न बन पायी
मैंने दो सौ रुपये देकर जान छुड़ाई
आनन् फानन में गाड़ी पेट्रोल पम्प
की तरफ बढ़ायी
गाड़ी के प्रदूषण की जांच करवाई
स्टीकर विंडो पे चिपका रसीद कलेजे से लगाई
प्रसन्न मन से गाड़ी हजरतगंज की तरफ बढ़ाई
मगर गाड़ी जाम में फंस गयी
हरियाणा के न0 वाली मेरी गाड़ी पर
फिर सिपहिया की नजर पड़ गयी
फिर जैसे ही हुयी उसकी मुझसे नजरें चार
वो भी बोला इधर आईये सरकार
मैंने जैसे ही आत्मविश्वास से कहा फरमाईये
सिपाही बोला सारे कागज़ ले आईये
मैंने कहा पिछले थाणे पर सब चेक करवाये है
प्रदूषण की जांच करवा नए कागज़ बनाये हैं
सिपाही बोला ठीक है कागज़ मत दिखाईये
पर 1100 की पेनल्टी तो कटवाईए
हमने कहा कितनी बार कटवायेंगे
वो बोला तब तब जव जब बेल्ट नहीं लगाएंगे
मैंने कहा दूध के जले हैं छांछ फूंककर पिया है
ड्राईवर ने बेल्ट न पहनने का गुनाह नहीं किया है
सिपाही बोला ड्राईवर पर पेनल्टी नहीं लगाई है
इस बार लापरवाही की सुई आप पर आयी है
मैंन हँसते हुए कहा नजर घुमाओ
लखनऊ में लगाता हो कोई बेल्ट तो बताओ
तभी दरोगा मुस्कुराते हुए लहजे में बोला
शेर यदि सारे हिरन एक दिन में मार गिराएगा
तो बाकी दिनों में भूख कैसे मिटाएगा
परिस्थितियों को देख मैंने भी मिजाज बदला
सौ सौ के दो करारे नोट थानेदार को थमा निकला
लखनऊ भ्रमण का छोड़ कर बिचार
घर की तरफ मोड़ कार बढ़ाई रफ़्तार
दो और थानो पे मामला निबटाते
कही तेज रफ़्तार का कहीं गाड़ी की बैक लाइट का
कही हेलमेट का मस्ला करारे नोटों से निबटाते
जब घर की चौखट दी दिखाई
सांस में सांस आयी
कानून आम आदमी को सिर्फ अपने जाल में फंसाता है
मछली की तरह आम सही आदमी जब छटपटाता है
बीच का रास्ता उसे सही नजर आता है
कोई कमाता है
कोई बचाता है
घर पहुचकर फुरसत के छड़ों में सोचता रहा
शासन की खामियों का नुक्सान देश कैसे उठाता है
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on February 22, 2017 at 8:56pm
आदरणीय आशुतोष जी,आपकी व्यंग्यात्मक कविता अच्छी लगी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। कृपया टंकण त्रुटियों को देख लीजिएगा। सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2017 at 6:35pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी रचना पर आपके मशविरे के लिए हार्दिक धन्यवाद कालेज जे एक कार्यक्रम के लिए लिखी थी आपके मशविरे पर अमल करूंगा सादर
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 5:56pm
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी सादर अभिवादन। उम्दा कविता लिखी आपने, बधाई। सच यही है कि विभागीय भ्रस्टाचार से सब गड़बड़ हो रहा है। आपने कई जगह वि को बि लिखा है, देख लीजिए, और यह कविता से ज्यादा लघुकथा संवाद सा हो गया है।
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 5:56pm
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी सादर अभिवादन। उम्दा कविता लिखी आपने, बधाई। सच यही है कि विभागीय भ्रस्टाचार से सब गड़बड़ हो रहा है। आपने कई जगह वि को बि लिखा है, देख लीजिए, और यह कविता से ज्यादा लघुकथा संवाद सा हो गया है।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 20, 2017 at 5:16pm

आदरणीय समर सर  आपका मार्गदर्शन मिलने से ही सुधार हो पाता है ..यह कविता मैंने मंच के हिशाब से लिखी थी .इसलिए लम्बी हो गयी आगे से इस गलती पर ध्यान दूंगा ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 20, 2017 at 5:14pm

आदरणीय शिज्जू जी रचना को आपका अनुमोदन मिला इसके लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Samar kabeer on February 20, 2017 at 3:07pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,कविता अच्छी है,लेकिन बहुत तवील होने की वजह से उकताहट पैदा करती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2017 at 12:49pm

सटीक व्यंग्य किया आ. डॉ आशुतोष जी आपने बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service