For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212
चाँद को जब भी सवाँरा जाएगा ।
टूट कर कोई सितारा जाएगा ।।

है कोई साजिश रकीबों की यहाँ ।
जख़्म दिल का फिर उभारा जाएगा ।।

सिर्फ मतलब के लिए मिलते हैं लोग ।
वह नज़र से अब उतारा जाएगा ।।

कुछ अदाएं हैं तेरी कातिल बहुत ।
यह हुनर शायद निखारा जाएगा ।।

रिंद है मासूम उसको क्या खबर ।
जाम से बे मौत मारा जाएगा ।।

उम्र गुजरी है वफादारी में सब ।
बेवफा कहकर पुकारा जाएगा ।।

टूट जायेंगी वो दिल की बस्तियां ।
गर तुम्हारा इक इशारा जाएगा ।।

मुंतज़िर वह आरज़ू मायूस है ।
वस्ल का तनहा सहारा जाएगा ।।

ज़ार मिट्टी का है मत इतरा के चल ।
हर गुमां इक दिन तुम्हारा जाएगा ।।

हिज्र में कुछ ज़िद का आलम देखिए ।
वह ज़नाज़े में कुँवारा जाएगा ।।

ठोकरों के बाद भी दीवानगी ।
मैकदों में वह दोबारा जाएगा ।।

ख्वाब में शब् भर रही तुम साथ में ।
दिन भला कैसे गुज़ारा जाएगा ।।

क्या हुआ गर चाँद में कुछ दाग है ।
ईद की ख़ातिर निहारा जाएगा ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 1337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2017 at 12:20am

आदरणीय नवीन मणी जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2017 at 9:17pm

आदरणीय नवीन भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 23, 2017 at 6:15pm
आ0 सुरेन्द्र नाथ सिंह कुश क्षत्रप सर सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 23, 2017 at 6:13pm
आ0 कबीर सर आपकी सलाह मेरे लिए अमृत के समान है । पूरी तरह से स्वीकार कर रहा हूँ सर । सादर नमन ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 23, 2017 at 6:13pm
आ0 कबीर सर आपकी सलाह मेरे लिए अमृत के समान है । पूरी तरह से स्वीकार कर रहा हूँ सर । सादर नमन ।
Comment by Samar kabeer on January 23, 2017 at 6:07pm
आप इस नज़्म को छोड़िये,मैंने जो अर्थ दिये हैं वो शब्दकोष के हैं,आप उचित समझें तो "ज़ार"के स्थान पर "जिस्म"कर लें ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 23, 2017 at 4:44pm
आ0कबीर सर एक नज्म मैंने कहीं पढ़ी थी जिस का जिक्र मैं यहाँ कर रहा हूँ ।
फ़ख्र बकरे ने किया मैं के सिवा कोई नही ।
इस जहाँ में मैं ही मैं हूँ दूसरा कोई नही ।।
जब न मैं मैं बन्द की मगरूर के अश्याब ने ।
जल कर गरदन पर छुरी तब फेर दी कश्याब ने ।
गोश्त चमड़ा और हड्डी जो था इसके ज़ार में ।
कुछ बिका कुछ फिक् गया कुछ लुट गया बाजार में ।
रह गयीं आतें फकत मैं मैं सुनाने के लिए ।
ले गया नद्दाख फिर तांते बनाने के लिए ।
ज़र्ब के सोटे पड़े तो तांत थर्राने लगी ।
मैं के बदले में "तू ही तू "की सदा आने लगी ।

शब्द मैं कहाँ तक लिखने में कामयाब हुआ हूँ यह नहीं बता सकता परंतु यहाँ ज़ार का अर्थ नीचे शरीर दिया गया था । सम्भवतः किसी पाकिस्तानी शायर की नज्म थी ।
Comment by Samar kabeer on January 23, 2017 at 3:03pm
"ज़ार"(czar)यानी,'अंग','शाहान-ए-रूस का लक़ब' ।
"ज़ार" ये शब्द फ़ारसी भाषा का है, इसके अर्थ हैं,'मकान','मक़ाम','अफरात','बुहतात','नाला-ओ-फ़रयाद'
किस भाषा में "ज़ार"का अर्थ 'शरीर'बताया गया है ?
Comment by Samar kabeer on January 23, 2017 at 2:54pm
भाई रवि जी आदाब,मुझे तो इन अशआर में ये दोष नहीं लगता,3रे शैर में शायद आप 'लोग'और चौथे में 'अदाएं' शब्द की वजह से ऐसा महसूस कर रहे हैं ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 23, 2017 at 2:49pm
आदरणीय नवीन मणि जी सादर अभिवादन, उम्दा ग़ज़ल कही आपने, दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service