For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: कांटे जो मेरी राह में (भुवन निस्तेज)

कांटे जो मेरी राह में बोये बहार ने

छूकर बना दिया है उन्हें फूल यार ने

 

यारी है तबस्सुम से करी अश्क-बार ने

कुछ तो असर किया है खिजाँ की फुहार ने

 

था बाकमाल कनखियों से झांकना तेरा

छोड़ा नहीं है आज तलक उस खुमार ने

 

इन ओस की बूंदों से कहाँ प्यास मिटेगी

सहरा बना दिया है मुझे इन्तजार ने

 

याद आई गाँव की वो घनी छाँव दोपहर

छोड़ा है बेशज़र शहर में रहगुज़ार ने

 

अब रहबरों से रहजनी होने की है ख़बर

पर्दे सभी हटा दिए हैं राजदार ने

 

राहों की मुश्किलों ने मिरे होश लिए यूँ

अब तक गले नहीं है लगाया दयार ने

 

मैं बेकरारियों का भला क्या गिला करूँ

मेरा करार छीन लिया खुद करार ने

 

टूटेंगे कांच से है मरासिम ये जानकर

खुद का लहू निचोड़ा दिले-सोगवार ने

 

अब की बहार ने किया ‘निस्तेज’ ये चमन

छोड़ा नहीं था माज़ी की गर्दो-गुबार ने

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by भुवन निस्तेज on October 9, 2014 at 2:29pm

आदरणीय शिज्जू "शकूर" जी मेरे प्रयास को अनुमोदन को सराहने हेतु सादर धन्यवाद...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 27, 2014 at 7:26am

आदरणीय भुवन जी ग़ज़ल पर प्रयास प्रभावित करता है खासतौर पे अशआर बहुत पसंद आये

था बाकमाल कनखियों से झांकना तेरा

छोड़ा नहीं है आज तलक उस खुमार ने

 

इन ओस की बूंदों से कहाँ प्यास मिटेगी

सहरा बना दिया है मुझे इन्तजार ने

मैं बेकरारियों का भला क्या गिला करूँ

मेरा करार छीन लिया खुद करार ने

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:35pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब अनेक अनेक धन्यवाद....

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:34pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी भाई बहुत बहुत धन्यवाद....

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:33pm

आदरणीय गिरिराज भंदरिसहब आप्का हार्दिक अभिनन्दन....

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:31pm

आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' भाई आप की सराहना वन्दनीय है कृपया जरूरी सुझाव भी देते रहें ....

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:29pm

आदरणीय khursheed khairadi साहब आपकी दाद बहुमूल्य है. कृपया स्नेह बनाए रखे..

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:27pm

आदरणीय हरिबल्लभ शर्मा साहब बेहद धन्यवाद...

Comment by भुवन निस्तेज on September 17, 2014 at 10:12pm

आदरणीय कृष्ण सिंह पेला भाइ साहब, मुज्झे भी लग रहा है की कुछ छिद्र इस रचना में रह ही गए हैं. मैं इसे ठीक कररने की कोशिस करूँगा.

Comment by भुवन निस्तेज on September 17, 2014 at 10:11pm

आदरणीय नीरज नीर साहब सादर आभार....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service