For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत

मेरे ख्‍वाबो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे
तेरा सूना पड़ा जीवन प्‍यार मे हम तो बदल देगे

तेरे तो साथ चलने को मेरा यह दिल तड़पता है
वि़ऱह की अाग जो जलती रही उसमें ये सुलगता है
कभी तुम पास आ देखो तुम्‍हे़ हम प्‍यारा कल देगे
मेरे ख्‍वा़बो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे

खुली आँखो से देखे थे कभी हम सपनो जो तेरे
सनम तू आके बन जाना हकीकत सपनो के मेरे
तुझे छुअेगे  कभी काँटे हम काँटो को मसल देगे
मेरे ख्‍वाबो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे
तेरा सूना पड़ा जीवन प्‍यार मे हम तो बदल देगे
तेरा सूना पड़ा जीवन प्‍यार मे हम तो बदल देगे



नई है भोर नया जीवन नया साथी तू बन जाना
चलेगे साथी मिल कर हम तेरी हर बात को माना
कभी अब दूर न जाना अखंड खिला हुआ कमल देगे
मेरे ख्‍वाबो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे
तेरा सूना पड़ा जीवन प्‍यार मे हम तो बदल देगे

अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

 

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2014 at 8:03am

सुंदर गीत , बधाई आपको आ0 अखंड जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 3, 2014 at 9:26pm

आ. अखंड भाई , सुन्दर गीत रचना के लिये बधाई ॥

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:02am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीया मीना पाटेकर जी

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:01am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय शिज्‍जु शकूर जी

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:01am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय जितेन्‍द्र गीज  जी

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:01am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय डा0 आशुतोष मिश्रा जी

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:00am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय लक्ष्‍मण प्रसाद लाडीवाल जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 31, 2014 at 11:26am

सुन्दर भावों की रचना के लिए बधाई श्री अखंड भाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 4:15pm

इस सुंदर गीत पर हार्दिक शुभकामनाये अखंड जी सादर 

Comment by Meena Pathak on May 29, 2014 at 11:47am

baut sundar ... badhai Akhand ji .. saadar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service