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जिन्‍दगी में हमने जिनको वफा सिखाया था

2122      1222      1212   211

जिन्दगी भर जिसे हमने इश्क सिखाया था

बेवफा हम नहीं हमने उसे बताया था

दिल दुखाया नहीं हमने कभी न माने वो

आग में जल पड़े दुश्मन गले लगाया था

बात भी प्‍यार से वाे अब कभी नही करते

चाँदनी रात में जिसने कभी बुलाया था

हम मनाते रहे कसमे जिसे सभी देकर

मौत की नीद भी हमको वही सुलाया था

जल रहा आशियाना मेरे दिल का यारो

चैन न पाये वो जिसने मुझे जलाया था

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

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Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:03am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीया कोन्‍टी मुखर्जी जी

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:02am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय डा0 आशुतोष मिश्रा जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 2:21pm

इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई सादर 

Comment by coontee mukerji on May 28, 2014 at 8:07pm

बहुत सुंदर और रूमानी गज़ल .......

बात भी प्‍यार से वाे अब कभी नही करते

चाँदनी रात में जिसने कभी बुलाया था......हार्दिक बधाई.

Comment by Akhand Gahmari on May 28, 2014 at 2:34pm

बडी प्रसन्‍ना तू आदरणीय आपको आज अपने पोेस्‍ट पर देख कर काफी दिनो बाद और कितने को माफ करे सबने जलाने की ठान लिया एक को हम जला देगे तो कोई आगे हिम्‍मत नहीं करेगा हमे जलाने का आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तवा जी मेरा चरणस्‍पर्श स्‍वीकार करें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 2:20pm

चैन न पाए वो जिसने मुझे जलाया था

गोया आप माफ़ करनेके मूड में नहीं है  ? तो यही सही i

 

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