For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन मेरे तू क्या होता?
जो मुझको तू भा जाता
कर लेता मुझको दीवाना
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे तुलसी दल होता
मोहन के मस्तक पर सोहता
पा जाता जीवन निर्वाण
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे जमुना जल होता
कृष्णा के तन को छू जाता
पा जाता तू सम्मान
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे तू हरिपथ होता
प्यारे के चरणों को छूता
पा जाता सुजीवन सोपान
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे तू दर्पण होता
कृष्णा के छवि को दर्शाता
कहलाता तू बड़ा महान
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे तू वाणी होता
निश दिन हरी गुंजन तू करता
बस जाता तू सब के प्राण
तो मैं तुझको अपनाता

मन मेरे तू आत्मा होता
हर पल तू उस में ही रहता
करता रहता हरी गुणगान
तो मैं तुझको अपनाता

कल्पना मिश्रा बाजपेई
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2014 at 9:17am

आप इस मंच पर रचनाएँ अवश्य प्रस्तुत करें. किन्तु अच्छे रचनाकर्म के लिए अन्य रचनाओं के पाठ के साथ-सथ स्वाध्याय बहुत आवश्यक है. अन्य रचाकारों की रचनाओं पर टिप्पणी अवश्य करें ताकि पता चले कि किसी रचना को पढ कर उसमें से आपने क्या आत्मसात किया.

यदि मेरा अतिरेक में कह दिया जाना लगा हो तो क्षमा-प्रार्थी हूँ.

सादर

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:32pm

अच्छी रचना है! इस सद्प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 2:59pm

मन मेरे तू वाणी होता 
निश दिन हरी गुंजन तू करता 
बस जाता तू सब के प्राण 
तो मैं तुझको अपनाता

सुन्दर भाव ...अच्छी रचना ....काश मन ये सब करे ऐसा हो तो आनंद और आये
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 26, 2014 at 12:49pm

आदरणीया कल्पना जी , सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 23, 2014 at 10:54pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया कल्पना जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 23, 2014 at 8:55am

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है

Comment by Meena Pathak on May 22, 2014 at 11:32pm

बहुत  सुन्दर ...बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 7:55pm

शांत, शीतल  और कोमल भावों में बँधी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये प्रिय कल्पना जी

Comment by kalpna mishra bajpai on May 22, 2014 at 1:41pm

आ० श्याम नारायन सर हार्दिक आभार /सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on May 22, 2014 at 1:41pm

आ० गोपाल सर हार्दिक आभार /सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service