For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी अग्रजों एवं गुरुजनों को प्रणाम करते हुए यहां पहली बार गजल पोस्ट कर रहा हूं. उम्मीद है आप सबको पसन्द आयेगी.....


उठा दिल में धुआं सा है

पुराना प्यार जागा है,

कहो तो हम जवां हो लें
तुम्हारा क्या इरादा है

नसों में बिजलियां दौडें
मुहब्बत का तकाजा है

न जाने आज मौसम में
अजब सा क्यों नशा सा है 


वही तुम हो वही हम हैं
तो फिर क्यों फासला सा है 

न बिछड़े थे न बिछड़ेंगे
ये वादा था ये वादा है

चले आओ कि चर्चित का
यहाँ दिल कुछ रुका सा है

- VISHAAL CHARCHCHIT

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on November 1, 2012 at 2:12pm

दिल को एक खास सुकून मिला वीनस भाई कि ये गजल आपको पसन्द आयी......आपका तह- ए -दिल से शुक्र्गुजार हूं क्यॉकि आपकी गजल की तमाम पोस्ट से मुझे काफी चीजों के बारे में जानकारी हुई है.......!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on November 1, 2012 at 2:02pm

थैन्क यू सो मच सीमा दीदी......!!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on November 1, 2012 at 1:59pm

ये तो आपका स्नेह है भ्रमर भाई जी.......बहुत - बहुत शुक्रिया भाई जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on November 1, 2012 at 1:53pm

आपका हृदय से आभारी हूं सौरभ सर.....!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on November 1, 2012 at 12:53pm

शुक्रिया राणा प्रताप सिंह साहब !!!

Comment by वीनस केसरी on October 31, 2012 at 12:32am

वही तुम हो वही हम हैं
तो फिर क्यों फासला सा है


अहा अहा कैसा कचोटता हुआ शेअर है
वाह भाई
आप आये
आप छा गये
बधाई

Comment by seema agrawal on October 30, 2012 at 10:45pm

बहुत खूबसूरत सादगी से भरी  ग़ज़ल कही है विशाल भाई 

दिली मुबारकबाद 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 30, 2012 at 8:59pm

उठा दिल में धुआं सा है
पुराना प्यार जागा है,

कहो तो हम जवां हो लें
तुम्हारा क्या इरादा है

विशाल जी छोटे छोटे बह्र ने गजब ढा दिया ..क्या बताऊँ की दिल को कितना .....ढेर सारा..... मजा आ गया..क्या बात है 

भ्रमर ५
 

 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 30, 2012 at 2:07pm

छोटे बह्र की एक अच्छी ग़ज़ल के लिये ढेर सारी बधाई विशाल चर्चित जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 30, 2012 at 10:12am

अच्छी गज़ल कही है यह शेर खास तौर पे पसंद आया 

नसों में बिजलियां दौडें
मुहब्बत का तकाजा है

हार्दिक बधाई|

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service