For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेमौसम पतझड़ आया हो जैसे

पेड़ से झड़ते पत्तों-सी थर्राती

परिक्लांत पक्षी की पुकार

बींधती कराह-सी

सारी हवा में घुल गई

शोक समाचार को सुनते ही

आज अचानक

हवा जहाँ कहीं भी थी

वहीं की वहीं रूक गई

कि जैसे वह दिवंगत आत्मा

मेरे मित्र

केवल तुम्हारी माँ ही नहीं, वह तो

सारी सृष्टि की माँ रही

पेड़, पत्ते, पक्षी, मुझको, तुमको

एक संग सभी को

आज अनाथ कर गई

 

पुनर्जन्म सच है यदि तो कैसे कह दूँ

किसी गए जन्म में सच में

वह मेरी माँ नहीं थी ?

वरना यह मन मेरा इतना बेचैन

इस रास्ते से उस रास्ते

इस कमरे से उस कमरे

इतना तिलमिला क्यूँ रहा है ?

जैसे परलोक से कोई डोर मुझको मानो

अनन्य विनती करती, पलछिन आज

उस पुण्य आत्मा के पास

बेतहाशा बुला क्यूँ रही है ?

... और मैं उस पुण्य आत्मा को अपनी

अप्रमेय विनम्र श्रध्दा देने

झुककर आश्रीवाद लेने

उस अपरोक्ष आत्मा की ओर अपलक

प्रवर्तित, बेबस, अन्यमनस्क

खिचा चला जा रहा हूँ .. क्यूँ

 

माँ, माँ, मैं आ रहा हूँ ..

         --------

 

( मेरे साथ बचपन से ऐसा कई बार हुआ है कि किसी और का दुख मुझको बहुत अपना-सा लगता है। एक मित्र की माता श्री के

चले जाने पर कुछ ऐसा ही दुख अनुभव हुआ, और इस श्रध्दांजलि

ने जन्म लिया )      

  • विजय निकोर

              

       (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 5:09pm

आदरणीय भाई समर जी, सराहना के लिए आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 5:08pm

आदरणीय मित्र विजय शंकर  जी, सराहना के लिए आभारी हूँ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 20, 2021 at 11:12pm

आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी लेखनी के साथ साथ आपके विचार बहुत गंभीर होते हैं और भावनाएं मानवता से ओत-प्रोत। दिल को छु जाती हैं और प्रेरित भी करती है। ..... और क्या कहूँ , दर्द तो जीवन साथी है , हमें सहनशील बनाता है। बधाई , सादर

Comment by Samar kabeer on October 4, 2021 at 3:39pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब , बहुत अच्छी रचना हुई है , इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service