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भेद :

समझा दिया मैंने
अपने बच्चों को
सत्य और असत्य में क्या है भेद

समझा दिया
मैंने अपने बच्चों को
भानु से फैला उजास
कितने रंगों को होता है

समझा दिया मैंने
यह भी अपने बच्चों को
कि रंगीली गिरगिट का
कौन सा रंग असली और कौन सा नकली होता है

मगर

मुझे ये समझाने में
बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा
कि इंसान का कौन सा रंग असली है
और कौन सा नकली

शायद वक्त के साथ
वो इस कठिनाई पर विजय पा लेंगे
जीवन की परतों को पहचान लेंगे
रंग के हर मर्म को जान लेंगे


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2020 at 4:02pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बढ़िया बात लिखी आपने। इंसान में असली और नकली रंग कैसे समझाएंगे। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2020 at 5:37pm

आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 15, 2020 at 8:21pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।

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