For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – March 2013 Archive (32)

दोहा

दोहा

तुलसी तुलसी सब कहे, दास न कहता कोए!

राम चरित मानस पढ़े, दोनहु परगट होए !!

तुलसी के जस राम हैं, सूर कहें घनशाम !!

राम रामायण दिनकर, सूर सागर सुभान!!

मोल बड़ा अनमोल है, राम चरित के बोल!

घट घट में बस जात है, दया.दान रस घोल!!

मंगल मेरी कामना, जड़. चेतन चित लाय!

मन की ऐसी भावना, मंगल दोष न जाय !!

मंगल मूरति दास की, चित बैठाये राम !

क्षण ही संकट.दोस मिटे, सुमरे जस हनुमान!!

बन बड़वानल उभरे ,…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 7:30am — 10 Comments

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

नगर का शोर छोड़ कर ध्याऊ !

जहाँ बजे शंख और ढोल !!

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

प्यार का घर ममता सब छोडूँ !

फसूं मंदिर और दरगाह !!

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

पाहन पूजूं गिरि पर चढ़ि .चढ़ि !

भूखे रहे दिन और रात !!

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

दर .दर ढ़ूं ढ़ूं नगर .सगर में !

ढ़ूं ढ़ूं वन और रेगिस्तान !!

रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !

‘सत्यम‘शिव मन में ही निहित है !

छोडो द्वेष और अभिमान !!

रे सजनी…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 6:56am — 4 Comments

जय! जय! जय! बजरंग बली!

जय! जय! जय! बजरंग बली!

हे! बजरंगी दया तुम्हारी, सदा राम नाम गुन गाया है!

तेरी ही कृपा से मैंने, प्रभु पाद सरस रस पाया है!! जय.....

तेरे अन्तरमन में ज्यों, सिया राम छवि सुख छाई है!

मन उत्कण्ठा अविकार लिये, मैंने भी अलख जगाई है!! जय.....

कृपा करो हे! पवन पुत्र, फिर वरद तुम्हारा आया है!

तेरी ही कृपा दृष्टि से, यह सम्मान पुनः मिल पाया है!!

जय जय जय बजरंग बली, जय जय जय बजरंग बली!

जय जय जय बजरंग बली, जय जय जय बजरंग बली!!

के’पी’सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 6:42pm — 4 Comments

--छन्द --

--छन्द --


तन जरत, मन बरत, लगत सर, टप-टप टपकत चलत रकत धर।
हरत न भव-भय मन इरष कर, हर-हर बरषत झरत छपर घर।।
तन क्षरत मन कस न ठगत नर, जल घट भर-भर भरत नगर सर।
तन-मन-धन सब धरन कंत घर,हस-हस मरकर सरग चलत नर।।4
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाषित रचना

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 10:40am — 7 Comments

दोहा --:ःबम-बम भोलेःः--

दोहा --:ःबम-बम भोलेःः--


तन मन भय रगड़ भसम, सब गण करत बखान!
कण कण सत रज तम रमत,समरथ सकल इशान!!1

चरण कमल रज लख करत,शत शत नमन महेश!
भजत भजन हर हर भवम, भय तज मरम गणेश!!2

सगर-तगड़-तरवर-तरन, हर जन धरत परान!
अलख झलक नर मन समझ,पल क्षण बनत महान!!3

जनत झरत लट पट उड़़त, हलचल अवघड़ जान!
तमस शमन भव भय हरत, सत मन बरगद शान!!4

सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 10:30am — 6 Comments

कलियुग मंथन

कलियुग मंथन

कलिकाल अकाल बढ़ा जग मा। अस मात विक्राल हलाहल सा।।

जन जीव अजीव समीर दुःखी । जगती तल अम्बर ताल बसी।।

सब देव अदेव गंधर्ब डरे । ब्रहमा - विशनू - महदेव कहे ।।

अब तो बस एक उपाय करें। गुरू नाम जपें सब राम रटे ।।

जग मा रस गंध सुगन्ध बहे । भजनादि संकीर्तन गूॅज रहे ।।

मन -मान समान धरे उर मा। सतसंग उमंग अनन्य रस मा।।

कह गीत सुनीति कही सुनहीं। पर मान बढ़ाहि बुझाइ सही ।।

इतना कहिके प्रभु जोरि हॅसें । कलि काल सुमीत मिले जिनसे।।

चित शान्ति विचार उठा नभ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 11, 2013 at 9:56pm — No Comments

!! टीका !! ’’ढोल गवार शूद्र पशु नारी। यह सब ताड़न के अधिकारी।‘‘

जस गॅवार गुण हीन अज्ञानी। आशा विपरीत सदा दुःख मानी।।

उलटि भजे सुनि कर्म भय ताहू। क्षमा राखि इच्छित फल पाहू।।

ज्यों ढोल मढि़ पोल उर राखा। गावहिं सगुन भवानहि भाषा।।

ढमढम ढोल ताल बिनु बाजा। नटसि नाथ हिय सुर ताल साजा।।

जनम जनम सेवा शूद्र वारे। दुःख दरिद्र त्यों जीवन धारे।।

कबहु न सीस मान अधिकारी। निषाद मित्र शबरी पय वारी।।

ज्यों समाज पशु धन श्री साजे। शत विधि भला असत रस राजे।।

बलि शीशा नर क्षुधा मिटाही। गिघ्द भालु कपि प्रभु जिय माही।

सकल ब्रहम संग रहे…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 11, 2013 at 10:30am — No Comments

हरि-महिमा

                        हरि-महिमा

तिनका तिनका हरि नाम धरै, महिखंड समूल रसातल को!

यमलोक सुलोक हवा पहिरे, हरि नाम जपे हरि आपन को!!

हनुमान  हरी  हरि राम  रटे, मिलगे वन मा सुग्रीव सखा ! 

रघुवीर  मिले  दुःख  दूर भये, मनमीत बने हरि राम सखा!!

कहि कोल किरात चंडाल जपे,उलिटा हरि नाम सुनाम लगे!

हरि नाम जपे कवि के रसना, सुर प्रीत बने गंगा जमुना !!

हरि नाम कथा कहहि सुनही, पर प्राण सराहि हरे दुःख को!

कही मोह बढाहि चले मद में, हरी नाम भुलाय पड़े गत…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 10, 2013 at 5:09pm — 6 Comments

दोहे

अहंकार है जड़ प्रकृति, स: ह्वै चेतन सार!

हंसा बूझि अस मूढ़मति, ज्ञानी भए भव पार!!

 

द्युलोक मा व्यापक रहत,आदित तैजस रूप!

बसुधा धारत अनल सत,वायु शून्‍य इक भूप!!

 

आदित्य सोसत सागर, गुरुत्व शून्य अस भाए!

बादल डाले  वीर्य रस, धरा उपज अति पाए!

विश्वान इक गर्भ सृजक, चेतन रहा डोलाए!!

षट घन घना कुंभ विकृत,सत जागत सुख पाए!!

 

हंस उड़त एक पाद से,इक जलाशय रहि जाए!

कर्म  पाश रस  चाहना, फिरै  सरोवर …

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 10, 2013 at 12:31pm — 2 Comments

महिला दिवस (बेटियाँ) दोहे

बेटी  ऐसी  बेल  है, ऊपर तक चढ़ जाय!

भले-बुरे संग खुश रहे,कभी न तोड़ा जाय!!

बेटी प्यारी दूब सी, नरम बिछौना जान!

गाट-गाट जोड़त रहे,खुशहाली की शान!!

बुलबुल कोकिल मैना सी,कूक रहे दिन-रात!

मात-पिता का अंतिम मन,बेटी घर ससुराल!!…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2013 at 2:30pm — 4 Comments

महिला दिवस जागरण (दोहे)

मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना

महिला दाता प्रेम की, बना भिक्षुक नर जात !
माया ममता ना मरी, मरा अहम् बड़जात !!

दामिनी भारत की बेटी, कल्पना भरे उड़ान !
इंदिरा किरण वेदी चॅढी, सुनीता गगन शान!!

बच्चे अच्छे एक या दो, जीवन का श्रृंगार!
पढ़ते - पढ़ते ग्यान दे, बेटी को मत मार !!
(के.पी.सत्यम)

मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना !

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 10:50pm — 4 Comments

महात्मा गाँधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक

"महात्मा गाँधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक"



भारत भ्रमण पर एक विदेशी,

जो था हिन्दी भाषा का प्रेमी!

एशो नज़ाकत का तहज़ीबी नगर!

'मुस्कराईए कि आप लखनऊ मे हैं'.

मन मे गुनता -गुनगुनाता -मुस्कराता;

खचाड़े रिक्शे का लुफ्त लेता,

गुजर रहा था अभी-

'महात्मा गाँधी मार्ग' से .

सहसा उसे नये टेम्पो पर पढ़ने को मिला-

'देखो मगर प्यार से'

वो कुछ बुदबुदाया फिर मुस्कुराया,

तभी अचानक पास से ही सनसनाती-सन्न से;

एक नयी नवेली ट्रक 'धन्नो'…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 8:30pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service