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All Blog Posts Tagged 'कहानी' (92)

दो भाई! – भाग -२

मौलिक व अप्रकाशित 

भाग 1 से आगे -

इसी तरह दिन गुजरते गए और फसल पकने का समय हो आया. इस साल अच्छी फसल हुई थी. महाजन को उसका हिस्सा देने के बाद भी भुवन के घर में काफी अनाज बच गए थे. खाने भर अनाज घर में रखकर बाकी अनाज उसने ब्यापारी को बिक्री कर दिए. जब पैसे हाथ में आते हैं तो आवश्यकता भी महसूस होती है. अभीतक वे दोनों भाई ठंढे के दिन में भी चादर और गुदरी(लेवा - पुराने कपड़ो…

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Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 8, 2013 at 4:00am — 6 Comments

दो भाई ! - भाग -१

मौलिक व अप्रकाशित 

दो भाई - राम लक्ष्मण!

दो भाई - कृष्ण बलराम!

दो भाई - पांडु और धृतराष्ट्र !

दो भाई - दुर्योधन दुशासन!

दो भाई - रावण और विभीषण!

दो भाई - भारत और पकिस्तान!

दो भाई - हिन्दी चीनी भाई भाई !

ऊपर के सभी उदाहरण जग जाहिर है ..पर

दो भाई - भुवन और चंदर ....

मैं इन्ही दोनों के बारे में लिखने वाला हूँ.

ये दोनों भाई है- मिहनती और इमानदार !

पांच…

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Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 6, 2013 at 7:00am — 5 Comments

आज मैं चुप नहीं रहूंगी /कहानी

वो हडबडा कर उठ बैठी , तेज़ गति से चलतीं साँसें ,पसीने से भीगा माथा,थर-थर कांपता शरीर उसकी मनोदशा बयान कर रहे थे I वो बार-बार बचैनी से अपना हाथ देख रही थी I अकबका कर तेज़ी से उठी और बाथरूम की तरफ भागी I कई बार साबुन से हाथ धोया, उसकी धड़कने अभी भी तीव्र गति से चल रहीं थीं, शरीर अभी भी काँप रहा था I बेडरूम में वापस न जाकर ड्राइंग रूम में बिना…

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Added by seema agrawal on December 22, 2012 at 3:00pm — 13 Comments

कहानी : तमाचा

  उस बस में जगह की वैसी ही किल्लत थी, जैसी मुंबई में पानी की है ! पर ये किल्लत मेरे पहुँचने के बाद हुई, इसलिए मुझे सीट मिल गई थी, और मै बैठा था ! अगला स्टॉपेज आया, यहाँ पर्याप्त लोग उतर गए, कुछ चढ़े भी, पर उतरने की मात्रा ज्यादा थी ! इसलिए अब बस में कुछ हल्कापन था ! बस में चढ़ने वालों में एक लड़की भी थी, जोकि मेरे पास आकर बोली, “थोड़ी जगह मिलेगी?” मै अपनी जगह से जरा सा खिसककर उसको जगह दिया ! उस लड़की के तत्काल बाद, याकि उसके पीछे ही एक लड़का भी बस में चढ़ा, उस लड़के के विषय में मुझे अजीब बात ये लगी…

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Added by पीयूष द्विवेदी भारत on December 3, 2012 at 11:00am — 13 Comments

वीकेंड (कहानी)

"क्या यार?.........हमलोग एक घंटे से इस कैफे में बैठे हैं और वीकेंड का एक बढ़िया प्लान नहीं बना पा रहे........व्हाट इज दिस?" रितिका ने झल्लाते हुए कहा| साथ बैठा उसका क्लासमेट मोहित उसे उखड़ता देख के उसकी हँसी उड़ाते बोला - "मैडम जी.....मैं तो कब से प्लानों की लाइन लगा रहा हूँ, आपको जँचे तब तो"| रितिका थोड़ा और गुस्से में आ के बोली - "मोहित, जस्ट कीप योर माउथ शटअप.......तुम्हारे आइडियाज हमेशा बोरिंग होते हैं....तुम अपनी तो रहने दो बस"| मोहित को बात बुरी लग गई - "क्यों? तुम्हारे उस विभोर के…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 30, 2012 at 12:01pm — 10 Comments

ईमान

"गलती हमारा या हमारे आदमियों का नहीं है रमाकांत बाबू"| बाहुबली ठेकेदार तिवारी जी, डीएसपी रमाकांत प्रसाद को लगभग डाँटते हुए बोले| "हम उसको पहिलहीं चेता दिए थे कि ई रेलवे का ठेका जाएगा तो ठेकेदार दीनदयाल राय के पास जाएगा नहीं तो नहीं जाएगा, लेकिन उ साला अपनेआप को बहुत बड़का बाहुबली समझ रहा था| अब खैर छोडिये, जो हो गया सो हो गया| जो ले दे के मामला सलटता है, सलटाइए|"

"आप समझ नहीं रहे हैं सर| बात खाली हमारे तक नहीं है कि आपका कहा तुरंत भर में कर दें| हमारे ऊपर भी कोई है, उप्पर से ई मीडिया…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 26, 2012 at 11:32am — 2 Comments

भाई - लघुकथा

निकिता की शादी हो रही थी| सभी बेहद खुश थे| सारा इंतजाम राजसी था| होता भी क्यों न? निकिता और उसका होनेवाला पति, दोनों ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों में ऊँचे ओहदों पर थे और अच्छे घरों से आते थे| वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान भाई के द्वारा की जानेवाली रस्मों की बारी आई| अब भाई की रस्में करे कौन? निकिता का इकलौता भाई, जो इंजीनियरिंग का छात्र था, परीक्षाएँ पड़ जाने के कारण अपनी दीदी की शादी में आ ही नहीं पाया था| लेकिन इससे कोई समस्या नहीं हुई क्योंकि राज्य के नामी उद्योगपति आर.के सिंहानिया का बेटा और…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 22, 2012 at 6:44pm — 18 Comments

दो रंग - लघुकथा

आज मॉर्निंग वॉक से लौटते समय सोचा कि जरा सीताराम बाबू से भेंट करता चलूँ| उनके घर पहुँचा तो देखा वो बैठे चाय पी रहे थे| मुझे देखते ही चहक उठे - "अरे राधिका बाबू, आइये आइये...बैठिये.....सच कहूँ तो मुझे अकेले चाय पीने में बिलकुल मजा नहीं आता, मैं किसी को ढूंढ ही रहा था......हा....हा...हा.....|" कहते हुए उन्होंने पत्नी को आवाज लगाई - "अजी सुनती हो, राधिका बाबू आए हैं........एक चाय उनके लिये भी ले आना|"

फिर हमदोनों चाय पीते हुए इधर-उधर की बातें करने लगे| तभी उन्होंने टेबल पर रखा अखबार…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 19, 2012 at 10:40pm — 16 Comments

निरा बेवकूफ

सचिवालय के बड़ा बाबू सिन्हा साहब के घर पुलिस आई हुई थी | उनके लड़के को गिरफ्तार करने के लिये | लड़का बी.ए पार्ट वन का छात्र था और उसपर अपनी सहपाठिन के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में झूठी गवाही देकर अदालत को गुमराह करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने तथा भोले-भाले निर्दोष युवकों पर बेबुनियाद इल्जाम लगा के उन्हें फंसाने की साजिश करने का आरोप साबित हो चुका था |

घर के बाहर मोहल्लेवालों की अच्छी-खासी भीड़ जमा थी | पड़ोस के शर्मा जी भी अपने कुछ जान-पहचानवालों के साथ खड़े ये तमाशा…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 17, 2012 at 9:11pm — 4 Comments

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।

फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥

 

ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,

सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 19, 2012 at 12:30am — 14 Comments

एक पैग (कहानी)

बटेश्वरनाथ गाँव के सबसे बड़े आदमी हैं। भगवान का दिया हुआ सबकुछ है उनके पास। माता पिता अभी सलामत हैं। दो लड़के और एक लड़की भी है। बड़ा लड़का गटारीनाथ ८ साल का है। लड़की सुनयनी ६ साल की और सबसे छोटा लड़का मेहुल नाथ अभी ३ साल का है जिसे प्यार से सब मेल्हू कहते हैं।

 बटेश्वरनाथ के पिता कोई ३ साल पहले रिटायरमेन्ट लिये थे जब मेल्हू का जन्म हुआ था। रिटायरमेन्ट के समय खूब सारा पैसा भी मिला था। ये लोग खानदानी रईस भी थे। बटुकनाथ के पिता बहुत सारा पैसा छोड़ गये थे। इनके परिवार की खूबियाँ बहुत…

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Added by आशीष यादव on March 17, 2012 at 9:00am — 16 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक ९ पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

------------- अंक - 10 (अंतिम अंक) --------------

सुबह के तीन बजे रंजन की स्थिति में कुछ -कुछ सुधार होने लगा. ईलाज में लगे डॉक्टरों को थोड़ी सी राहत मिली. बेटे की हालत में सुधार देखकर प्रबल बाबू ने आँखें बंद कर उस ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया,…

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Added by satish mapatpuri on December 6, 2011 at 8:30pm — 2 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 8 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

------------- अंक - 9  --------------

रात्रि के 12 बज रहे थे. सिंह साहेब के सम्मान में एक बड़ी दवा कम्पनी ने राजधानी के एक शानदार होटल में भोज का आयोजन किया था.  प्रबल बाबू उस दुनिया से बेखबर हो चुके थे, जहाँ गरीबी रेखा से भी नीचे लोग अपना जीवन बसर करते…

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Added by satish mapatpuri on November 7, 2011 at 8:00pm — 1 Comment

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 7 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

-------------- अंक - 8 --------------

प्रबल प्रताप सिंह अब पूरी तरह बदल चुके थे. उनकी ममता को नैतिकता की वेदी पर अपने बच्चों का भविष्य कुर्बान करना गंवारा नहीं था. जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. उत्थान से…

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Added by satish mapatpuri on November 6, 2011 at 2:30pm — 1 Comment

त्यागपत्र (कहानी)



त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 5 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

-------------- अंक - 6  ---------------

दोषी लोगों को सज़ा दिलाने के लिए प्रबल प्रताप सिंह कृतसंकल्प थे, किन्तु राजनीतिक हलकों में उनकी पहुँच अच्छी थी. पार्टी अध्यक्ष उमाकांत ने सिंह साहेब से स्वयं मिलकर कहा - ' आपने जिन लोगों को दोषी करार दिया…

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Added by satish mapatpuri on November 4, 2011 at 2:00am — 2 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 4 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

-------------- अंक - 5 ---------------

... एक दिन सुबह-सुबह प्रबल बाबू ने समाचार पत्र उठाया ही था किउन्हें सांप सूंघ गया... " नकली दवा के कारण सात लोगों की मौत "

खबर ने तो उन्हें झकझोर कर रख दिया. समाचार के विस्तार में लिखा था -- " सरकारी अस्पताल…

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Added by satish mapatpuri on November 3, 2011 at 3:00am — 2 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

-------------- अंक - 4 --------------- '

अंक 3 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

मैं कुछ समझा नहीं ..' प्रबल बाबू के माथे पर बल पड़ गए थे.  उनकी इस असहज स्थिति का लाभ उठाने में उमाकान्त जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी. अपने सपाट से चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए उन्होंने तत्क्षण कहा -…

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Added by satish mapatpuri on November 2, 2011 at 2:00am — 3 Comments

त्यागपत्र (कहानी)



त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 2 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

-------------- अंक - 3 ---------------

प्रबल बाबू को अध्यक्ष महोदय की बातें सुनकर कुछ खटका सा लगा और उन्होंने बीच में ही उन्हें टोकते हुए कहा -  'शायद, इस प्रसंग पर बात करने के लिए यह उचित समय नहीं…

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Added by satish mapatpuri on November 1, 2011 at 2:00am — 5 Comments

नहीं आऊंगी ( धारावाहिक कहानी)

नहीं आऊंगी ( धारावाहिक कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

---------------अंतिम अंक   --------------------

"कौन है?" मैंने हड़बड़ाकर पूछा .



"साहब ,दरवाजा खोलिए, गजब हो गया ." रामरतन के स्वर में घबड़ाहट थी. मैंने दौड़कर…
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Added by satish mapatpuri on September 26, 2011 at 10:00pm — 2 Comments

नहीं आऊंगी ( धारावाहिक कहानी)

नहीं आऊंगी ( धारावाहिक कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

--------------- अंक - छः  ---------------------

बम सदृश धमाका हुआ  ......................मुझे कानों पर पर विश्वास नहीं हो रहा था पर यथार्थ हर हालत में यथार्थ ही होता है. मैं शालू का प्रस्ताव सुनकर अवाक था .

"शालू ,  जानती हो तुम क्या कह रही हो ?"

"अच्छी तरह. आपने ही तो कहा था कि बार-बार कहा जाने वाला झूठ भी सच हो जाता है . आज सब लोग मुझे आपकी प्रेमिका और महबूबा कह रहे हैं . मेरे नाम के साथ आपका नाम जोड़…

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Added by satish mapatpuri on September 24, 2011 at 10:20pm — No Comments

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