212 1222 212 1222
साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता
मेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होता  
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राह पर सदाक़त की गर चला नहीं  होता 
सच हमेशा कहने का  हौसला नहीं होता
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कोशिशों से  देता  है  रास्ता समंदर भी
हौसला रहे क़यिम फिर तो क्या नहीं होता 
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कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में 
दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता
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थोड़े ग़म ख़ुशी थोड़ी,थोड़ी सिसकियाँ भी है
ज़िन्दगी से अब हमको कुछ गिला नहीं होता
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डूबती नहीं कश्ती पास…
Added by SALIM RAZA REWA on December 27, 2017 at 9:00pm — 20 Comments
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रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो 
गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो
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मोतियों  की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
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जब तलक आसमां में सितारें रहें
ज़िंदगी में  सदा  मुस्कुराते  रहो
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इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे
दोनों हांथों से  उनको  लुटाते  रहो
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सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम
जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो
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हम भी तो आपके जां  निसारों में हैं
क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते…
Added by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 4:55pm — 21 Comments
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 दामन को तीरगी से बचाते चले गए
 ईमाँ की रोशनी में  नहाते चले गए
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 हम दर-बदर की ठोकरे खाते चले गए
 फिर भी तराने प्यार के गाते चले गए
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 कोशिश तो की भंवर ने डुबोने की बारहा
 हम कश्ती-ए-हयात बचाते चले  गए
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रुसवाईयों के डर से कभी बज़्में नाज़ में
 हंस-हंस के दिल का दर्द छुपाते चले गए
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अपना रहा ख़्याल न कुछ होश ही रहा
 आँखों में उनकी हम तो समाते चले गए
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करता है जो सभी के मुक़द्दर का…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 5, 2017 at 6:00pm — 16 Comments
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