एक नवगीत
समीक्षा का हार्दिक स्वागत
रैली, थैली, भीड़-भड़क्का,
सजी हुई चौपाल
तंदूरी रोटी के सँग है,
तड़के वाली दाल
गली-गली में तवा गर्म है,
लोग पराँठे सेक रहे
जन गण के दरवाजे जाकर,
नेता घुटने टेक रहे
पाँच साल के बाद सियासत,
दिखा रही निज चाल
वादों की तस्वीरें…
Added by बसंत कुमार शर्मा on November 29, 2018 at 1:00pm — 4 Comments
मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२
द्वार पर जो दिख रही सारी सजावट आप से है
आज अधरों पर हमारे मुस्कुराहट आप से है
आपकी आमद से मौसम हो गया कितना सुहाना
जो हुई महसूस गरमी में तरावट आप से है
यूँ तो मेरी जिन्दगी…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on November 27, 2018 at 9:08am — 9 Comments
मापनी - २१२२ 12 1222
चाहते हैं मगर नहीं आती
हर ख़ुशी सबके’ घर नहीं आती
दिल में’ थोड़ी सी’ गुदगुदी कर दे
आजकल वो खबर नहीं आती
मैं इधर जब उदास होता हूँ
नींद उसको उधर नहीं…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on November 1, 2018 at 5:30pm — 30 Comments
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