For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rajesh kumari's Blog – November 2012 Archive (7)

शक्ति धन (कुण्डलिया छंद)

धन से पत्थर पूजते ,मन में लेकर पाप 

ये आडम्बर देखकर ,निर्धन देगा श्राप 

निर्धन देगा श्राप ,उलट फल देगी पूजा 

दीन  धर्म से श्रेष्ठ , कर्म  ना कोई दूजा 

मन में रख सद्भाव ,करो सभी भक्ति मन से 

निर्धन  का हर  घाव , भरो  उसी शक्ति धन से 

********************************************

Added by rajesh kumari on November 27, 2012 at 9:22am — 6 Comments

तरसते अम्बर धरती (कुण्डलिया छंद )

धरती अम्बर से कहे ,सुना प्रेम के गीत 

अम्बर धरती से कहे, दिवस गए वो बीत 

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई 

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

*******************************************

Added by rajesh kumari on November 23, 2012 at 12:30pm — 17 Comments

जहर उसने ज्यों प्याले से पिलाया दोस्तों

चुन चुन के  ख्वाब मेरे जलाया दोस्तों 

खूँ में उसने आज ये  क्या मिलाया दोस्तों 

रब से मिलती रही औ  घूँट भरती  रही 

 जहर उसने ज्यों  प्याले से  पिलाया दोस्तों 

चाहत घर की रही और मकाँ  मिल गया 

कैसा किस्मत ने   देखो  गुल खिलाया दोस्तों 

 जिस्म अपना रहा औ रूह उसकी मिली 

सब कुछ उसकी लगन में  है  भुलाया दोस्तों 

 पीर जमती रही  औ  पर्वत बनता रहा 

आंसुओं की तपन  ने ना पिघलाया दोस्तों 

खुद ही रख दूँ  मैं    लकड़ी   चिता…

Continue

Added by rajesh kumari on November 22, 2012 at 1:37pm — 16 Comments

चौंच में लेकर तिनका ( कुण्डलिया )

लेकर तिनका चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय

नीड महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय

घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े

ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े

देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका

जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका

***************************************

(अपने एक ख़याल के ऊपर बनाई यह कुंडली )

चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां मेरे बच्चे बिगड़ रहे…

Continue

Added by rajesh kumari on November 17, 2012 at 11:00am — 18 Comments

कुछ ख़याल

(1) घर की छत के दो बड़े स्तम्भ गिर चुके हैं देखो छोटे स्तंभों पर कब तक टिकती है छत !! 

(2)सबने कहा और तुमने मान लिया एक बार तो कुरेद कर देखते मेरी राख शायद मैं तुमसे कुछ कहती !!

(3)जिंदगी में बहुत दूर तक तैरने पर कोई नाव  मिली ,कुछ गर्म धूप  कुछ नर्म  छाँव  मिली !!

(4)अपनों के हस्ताक्षर के साथ जब कोई कविता आँगन से बाहर जायेगी ,तो जरूर नया कोई गुल खिलाएगी!!

(5)चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो…

Continue

Added by rajesh kumari on November 16, 2012 at 11:14am — 15 Comments

ह्रदय से काला नेता (कुंडलिया )

नेता खुद करते फिरें, इधर उधर की ऐश

दीवाली पर ना मिले, तेल, कोयला,  गैस

तेल, कोयला,  गैस, चूल्हा जलेगा कैसे 

रंक भाड़ में जाय, भरलो  बैंक में पैसे 

वोट दियो पछताय, मनुज अब जाकर चेता 

उजले हैं परिधान, ह्रदय से काले नेता

*********************************

Added by rajesh kumari on November 7, 2012 at 8:30pm — 11 Comments

जिंदगी ने उसे छ्ला होगा

गैस होगी न कोयला होगा

चूल्हा ग़मजदा मिला होगा



पेट रोटी टटोलता हो जब

थाल में अश्रु झिलमिला होगा



भूख की कैंचियों से कटने पर

सिसकियों से उदर सिला होगा



चाँद होगा न चांदनी होगी

ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा



भोर होगी न रौशनी होगी

जिंदगी से बड़ा गिला होगा



लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ

मौत का कोई काफिला होगा



बेबसी की बनी किसी कब्र पर

नफरतों का पुहुप खिला होगा



अब बता "राज"दोष है किस…

Continue

Added by rajesh kumari on November 6, 2012 at 2:00pm — 20 Comments

Monthly Archives

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service