For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको मंजूर क़यामत से महब्बत होना (ग़ज़ल "राज")

गर है अंजाम महब्बत का क़यामत होना 
मुझको मंजूर क़यामत से महब्बत होना 

बे-मआनी नहीं ये सब है  महब्ब्त की  ख़ुराक
दरमियाँ  उसके गिले  शिकवे  शिकायत होना

आस्माँ  की ही अना का है नतीज़ा यारो  
उसके ही चाँद सितारों में बगावत होना

बेच दी है मेरे गुलशन की महक गुलचीं ने  
इसको कहते हैं अमानत में ख़यानत होना

ये ही करता है मुकम्मल मेरे अफ़साने को 
तेरे क़िरदार में शामिल ये नज़ाकत होना

दिल्लगी भूल से करना न कभी मुझसे सनम 
मार डालेगा तेरे  दिल में  अदावत होना

देखने  ख़्वाब ज़रूरी हैं जिन आँखों के लिये 
है ज़रूरी उन्हीं ख़्वाबों का हकीकत होना

खींच लायेगा तुझे दारो-रसन तक इक दिन 
तुझ  में कुछ हद से ज़ियादा ही शराफ़त होना

लिख दिया रब ने मेरे इश्क़ की पेशानी पे 
अब तो लाज़िम है यहाँ मेरी हलाकत होना
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 868

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2018 at 2:34pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।

दिल्लगी भूल से करना न कभी मुझसे सनम 
मार डालेगा तेरे  दिल में  अदावत होना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 4, 2018 at 11:08am

आद० लक्ष्मण भैया ,बहुत बहुत आभार आपको गज़ल पसंद आई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2018 at 11:48am

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2018 at 9:26pm

आद० समर भाई जी ग़ज़ल की तारीफ़ और विस्तृत समीक्षा के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ .आपकी इस्स्लाह से भाई जी मेरे शेर समृद्ध हो जाते हैं इस लिए हर रचना पर आपका इन्तजार रहता है .आपके  मार्ग दर्शन के अनुसार इसमें कुछ संशोधन कर लूँगी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2018 at 9:24pm

आद० दयाराम मैथानी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2018 at 9:23pm

आद० राज़ नवाद्वी जी आपको गज़ल पसंद आई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपकी बात सही है है होना चाहिए ये टंकण मिस्टेक हुई है ठीक कर लूँगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2018 at 9:22pm

आद० राहुल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2018 at 9:21pm

आद० नरेन्द्र जी आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by Samar kabeer on December 2, 2018 at 5:22pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'  
बे-मआनी नहीं ये सब हैं   महब्ब्त की  ख़ुराक'

इस मिसरे में सहीह शब्द है "ख़ूराक"

'  ये फ़लक की ही अना का है नतीज़ा यारो  
उसके ही चाँद सितारों में बगावत होना'

इस शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें,सानी मिसरे में 'ही' शब्द भर्ती का है,शैर यूँ हो सकता है:-

'ये फ़लक ही की अना का है नतीजा यारो

इस तरह चाँद सितारों में बग़ावत होना'

'  ये जो महकी मेरे गुलशन से रफ़ीकों की गली 
इसको कहते हैं अमानत में ख़यानत होना'

इस शैर में 'ख़यानत' क़ाफ़िया ऊला मिसरा कमज़ोर होने से वो भाव पैदा नहीं हो सके जो होना थे ,ये शैर यूँ हो सकता है :-

'बेच दी है मेरे गुलशन की महक गुलचीं ने

इसको कहते हैं अमानत में ख़यानत होना'

'  ये ही करता है मुकम्मल मेरे अफ़साने को 
तेरे क़िरदार में शामिल ये नज़ाकत होना'

इस शैर के सानी मिसरे में 'नज़ाकत' शब्द स्त्रीलिंग है,इसलिये ऊला मिसरे में 'करता' की जगह "करती" शब्द उचित होगा ।

'  दिल्लगी भूल से करना न कभी मुझसे सनम 
मार डालेगा तेरा  मुझसे अदावत होना'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं,क्योंकि रदीफ़ 'होना' की जगह' "करना" हो रही है,ग़ौर करें ।

'  अब तो लाज़िम तेरा बाइस-ए-हलाकत होना'

ये मिसरा लय में नहीं,यूँ हो सकता है:-

'अब तो लाज़िम है यहाँ मेरी हलाकत होना'

बाक़ी शुभ शुभ ।

Comment by Dayaram Methani on December 1, 2018 at 10:30pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, बहुत सुंदर गजल हुई है। इस सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
31 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service