For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विनय कुमार's Blog – September 2019 Archive (4)

समीकरण- लघुकथा

अचानक उसे लगा कि पीछे से किसी ने नाम लेकर पुकारा, उसने साइकिल रोकी और पलट कर देखा. थोड़ा पीछे ही उसके परिचित वकील साहब खड़े थे और उसकी तरफ इशारा कर रहे थे. वह साइकिल धीरे धीरे चलाते हुए वकील साहब के पास पहुंचा और उनको नमस्ते किया.

"क्या बात है मैनेजर साहब, आज साइकिल चला रहे हैं. गाड़ी पंचर हो गयी है या खराब है", वकील साहब ने मुस्कुराते हुए पूछा.

उसे हंसी आ गयी, वह क्या साइकिल सिर्फ तभी चला सकता है जब उसकी गाड़ी खराब हो. फिर उसने हँसते हुए ही कहा "अरे नहीं वकील साहब, गाड़ी ठीक है. बस यूँ…

Continue

Added by विनय कुमार on September 26, 2019 at 5:49pm — 4 Comments

व्यस्तता- लघुकथा

"अब गांव चलें बहुत दिन बिता लिए यहाँ", शोभाराम ने जब पत्नी ललिता से कहा तो जैसे उनके मुंह की बात ही छीन ली.

लेकिन बेटे और बहू से क्या कहेंगे, गांव पर तो कोई रहता नहीं था,पट्टीदारों के अलावा. वैसे वहां पर अपने हिसाब से जीने की आज़ादी थी लेकिन यहाँ भी तो है ही, कोई बंधन नहीं है. उनके दिमाग में कई दिनों से यह सब घूम रहा था.

"अच्छा यह बताओ, आखिर क्या कह कर गांव जाओगे. बेटा तो यही कहकर शहर लाया था कि गांव में अकेले रहते हैं, कौन है जो आपका अकेलापन बाँटने के लिए", ललिता के सवाल पर लाजवाब हो…

Continue

Added by विनय कुमार on September 17, 2019 at 7:36pm — 6 Comments

उजास- लघुकथा

घर तक पहुँचते पहुँचते वह बिलकुल थक के चूर हो गया था, थकान सिर्फ शारीरिक होती तो और बात थी, वह मानसिक ज्यादा थी. आज भी कुछ लोगों की खुसुर फुसुर उसके कानों में पड़ गयी थी "अरे ये तो सरकारी दामाद हैं, इनको कौन बोल सकता है, जो चाहे करें". जैसे ही वह सोफे पर बैठा, उसकी नजर सुपुत्र राघव पर पड़ी. उसकी कुहनी पर खून के दाग थे लेकिन वह मजे में खेल रहा था.

"बेटा राघव, यहाँ आओ. यह चोट कैसे लग गयी", उसने जैसे ही कहा, राघव को अपने चोट का ध्यान आया. वह लड़खड़ाते हुए पापा की तरफ आया और उसकी शिकायत शुरू हो गयी… Continue

Added by विनय कुमार on September 11, 2019 at 7:36pm — 4 Comments

अब बात कुछ और है- लघुकथा

लगभग १५ मिनट बीत गए थे उस रेस्तरां में बैठे हुए, अभी तक खाना सर्व नहीं हुआ था. कलीग के बच्चे के ट्वेल्थ के रिजल्ट की ख़ुशी में आज दोनों फिर उस रेस्तरां में आये थे. अमूमन इतनी देर में बौखला जाने वाली उसकी कलीग ख़ामोशी से मेनू को उलट पलट कर देख रही थी. उसे थोड़ा अजीब लगा, उसने यूँ ही कहा "कितना समय लेते हैं ये बड़े होटल वाले खाना सर्व करने में, मुझे तो समझ ही नहीं आता. वैसे आज तुम कुछ बोल नहीं रही हो, क्या बात है?

कलीग ने सर उठाकर उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोली "अरे समय लग जाता है, ये लोग… Continue

Added by विनय कुमार on September 9, 2019 at 5:56pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service