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Saurabh Pandey's Blog – September 2014 Archive (2)

नदी, जिसका पानी लाल है (कविता) // --सौरभ

संताप और क्षोभ

इनके मध्य नैराश्य की नदी बहती है, जिसका पानी लाल है.



जगत-व्यवहार उग आये द्वीपों-सा अपनी उपस्थिति जताते हैं

यही तो इस नदी की हताशा है

कि, वह बहुत गहरी नहीं बही अभी

या, नहीं हो पायी…

Continue

Added by Saurabh Pandey on September 15, 2014 at 3:00am — 41 Comments

हिन्दी भाषा पखवारे पर (नवगीत) // --सौरभ

अस्मिता इस देश की हिन्दी हुई

किन्तु कैसे हो सकी

यह जान लो !!

कब कहाँ किसने कहा सम्मान में..

प्रेरणा लो,

उक्तियों की तान लो !



कंठ सक्षम था

सदा व्यवहार में…

Continue

Added by Saurabh Pandey on September 1, 2014 at 5:30am — 39 Comments

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