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Saurabh Pandey's Blog – September 2011 Archive (1)

ग़ज़ल - भोगा हुआ यथार्थ..

.

जिसकी  रही  कभी नहीं आदत उड़ान की

अल्फ़ाज़ खूबियाँ कहें खुद उस ज़ुबान की

*

भोगा हुआ यथार्थ जो सुनाइये,  सुनें

सपनों भरी ज़ुबानियाँ  दिल की न जान की..

*

जिसके खयाल हरघड़ी परचम बने उड़ें

वो खा रहा समाज में इज़्ज़त-ईमान की ..

*

जिनके कहे हज़ारहा बाहर निकल पड़े

ऐसी जवान ताव से चाहत कमान की..

*

जबसे सुना कि शोर है अब इन्क़िलाब का

ये सोच खुश हुआ बढ़ी  कीमत दुकान की.

*

हर नाश से उबारता, भयमुक्त जो…

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Added by Saurabh Pandey on September 1, 2011 at 9:30am — 15 Comments

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