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ARVIND BHATNAGAR's Blog – September 2013 Archive (4)

डर लगता है,

नींद कहीं फिर आ ना जाए , डर लगता है,

ख्वाब वही फिर आ ना जाए, डर लगता है ।

सावन सा वो बरस रहा है मन आँगन में ,

मौसम कहीं बदल ना जाए, डर लगता है…

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Added by ARVIND BHATNAGAR on September 13, 2013 at 3:00pm — 21 Comments

पीछे मुड़ के नहीं देखना

जाने क्या क्या लोग कहेंगे , किस किस को समझाओगे ,

जिसको वफ़ा समझते हो, उस गलती पर पछताओगे ।

हँसते चेहरे ,सुंदर चेहरे , कितने भोले - भाले चेहरे ,

इस तिलिस्म में पड़े अगर तो , बाहर न आ पाओगे ।

आसमान  में  उड़ो  परिंदे , पंखों पर विश्वास करो ,

इस से ज्यादा खिली धूप और खुली हवा कब पाओगे ।

भींगी पलकें , उतरे चेहरे , वो सपनो का गाँव , गली ,

पीछे  मुड़  के नहीं  देखना, पत्थर  के  हो  जाओगे ।

चलो उठो दो चार कदम ही , उस…

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Added by ARVIND BHATNAGAR on September 8, 2013 at 9:30pm — 16 Comments

शायद उनको प्यार आ जाए

पहरों उन के साथ बिताये ,

दिल की बात नहीं कह पाए ।

तेरी खिड़की तनिक खुली है ,

शायद धूप निकल ही आये ।

इसी आस पर जीते हैं हम ,

शायद उनको प्यार आ जाए ।

दिल की बात कहाँ तक माने ,

दिल तो हर शै पर आ जाए ।

आज खुले रखो दरवाजे,

आज कोई शायद आ जाए ।

उन के अफ़साने में सुनना ,

शायद मेरा नाम आ जाए ।।

मुझको खंजर मारने वाले ,

तुझको मेरी उम्र लग जाए ।

आते जाते मिल जाते हो…

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Added by ARVIND BHATNAGAR on September 6, 2013 at 11:30pm — 13 Comments

तान्या : यूँ मिलना तुम्हारा

एक 

तुम

मुझे ऐसे मिले

जैसे कि मंदिर में किसी

देवता के आगे

फैली

अंजलि में

फूल

देव मस्तक का

आ कर के गिरे /

या किसी प्यासे पपीहे को

मिले

एक बूँद पानी ।

प्यार सी

नजरो को छू कर

तुम खिले ऐसे

कि जैसे

ऋतु बसंत में

किसी कम्पित डाली पर

सोई कली

मंद , शीतल पवन का

स्पर्श पा कर के खिले /

या खिले कवि ह्रदय कोई

देख कर वर्षा सुहानी…

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Added by ARVIND BHATNAGAR on September 2, 2013 at 9:00pm — 15 Comments

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