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Ashish Srivastava's Blog – August 2013 Archive (4)

मत्त सवैया - दो छंद

बादल भी है नुचा हुआ सा, वसुधा भी है टुकड़े टुकड़े 

शर्म हया भी बिकी हुई है, भारत के है चिथड़े चिथड़े 
भीष्म पितामह शर शय्या पर, सुत मा या में द्रोण पड़े है 
शीश गिराते कौरव देखो , शस्त्र यहाँ पर मौन पड़े हैं 
_______________________________________
सीमा तो अब नहीं देश में , शत्रु घुसा है किसी जेब में 
रुपया तो बीमार वेश में , बाढ़ घुसी है ग्राम केश में 
रोटी फेंक फेंक हम…
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Added by Ashish Srivastava on August 28, 2013 at 2:00pm — 21 Comments

घोटाले

घोटाले कर कर हुई, भ्रष्ट आज सरकार

जनता डर डर रह रही, संसद भी बीमार

संसद भी बीमार, मिलै नहि मोहे चैना  

जुल्मी है सरकार, बड़ा मुश्किल है रहना 

कह सागर सुमनाय, काम तो इनके काले  

खाना बांटे मुफ्त, करे नित नए घोटाले 

आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
मौलिक एवं अप्रकाशि

Added by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 7:30am — 15 Comments

एक कुंडली छंद

सारी रतिया जागकर मिलत खिलत बतियात
पलक पलक झपकत रही, नैन रहे लजियात 
नैन रहे लजियात, बेध कर उर मा बासै 
मैन मोय अकुलात,सोच कर उठि उठि सांसै         
कह सागर सुमनाय , प्रेम सौं  नहीं बिमारी 
लगै जो  एकौ  दांय , छुटे न उमर ये सारी 
आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Ashish Srivastava on August 26, 2013 at 11:00pm — 16 Comments

आज हुआ मौसम भी इस तरह ख़राब ....

आज हुआ मौसम भी इस तरह ख़राब 
तुम लगो गुलाब से नजर हुयी शराब   
सांवले से रुख  पे है बनारसी समां 
शाम अवध की है तेरे हुस्न की किताब  
जुल्फ तेरी नागिन सी या लगें घटा 
अब हटा लो आप रुख पे जो पड़ा हिजाब 
जादू नजर का है हुआ या हो गया नशा  
बैठिये भी खोलिए ये इश्क की किताब
तेरी अदा है लग रही अजंता की गुफा 
कोई सवाल पूछिए, या दीजिये जवाब
जुल्फ मत बिखेरिये संभालिये जरा 
होश खो…
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Added by Ashish Srivastava on August 3, 2013 at 11:00am — 4 Comments

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