For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घनाक्षरी छंद - मन हरण

गीत भी लिखे कलम भारती के गान के तो,
कागज भी नाच के ही आन करने लगा

वंदन हजार माँ को छंद ने किये है और 
पंक्ति पंक्ति लिख के ही गान करने लगा 

स्याही शूर वीरता के मंत्र लिखती गयी तो  
अक्षर भी अक्षर का मान करने लगा 

देशप्रेम वाला भाव मन में बसा लिया तो   
शब्द शब्द राष्ट्र को सलाम करने लगा 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष ( सागर सुमन)  

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:26pm

इस सुन्दर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें////सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 4:19pm

अरुन अनन्त जी, आपने किस तथ्य को साझा किया कि घनाक्षरी में तुकान्तता अनिवार्य नहीं है. कृपया साझा करें तो हम सभी को लाभ होगा.

आदरणीय आशीष भाईजी, आपकी घनाक्षरी कथ्य की दृष्टि से भी तनिक और प्रयास मांगती है.  इस प्रस्तुति पर चूँकि आपसे मेरा व्यक्तिगत संवाद बन चुका है अतः आपसे उचित की अपेक्षा है.

सादर

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 10, 2014 at 10:40pm
सुंदर भाव एवं सुंदर छंद
Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

annapurna bajpai  जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार अनुपमा जी 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

अरुन शर्मा 'अनन्त': जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर  और आपका सुझाव अत्यंत प्रिय है , पुनः आभार ह्रदय से 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

Shyam Narain Verma जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर  और आपका सुझाव अत्यंत प्रिय है , पुनः आभार ह्रदय से 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:57pm

गिरिराज भंडारी:  आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर 

Comment by annapurna bajpai on January 9, 2014 at 6:52pm

आ0 आशीष जी सुंदर घनाक्षरी छंद हुआ है आपको बधाई । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 3:07pm

भाई आशीष जी बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है घनाक्षरी छंद पर. भाई जी इस छंद में भाषा का प्रवाह और गति सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. तुकांतता आवश्यक नहीं किन्तु ऐसा करने से पढ़ने और सुनने वालों को अधिक मधुर लगता है. विधान के हिसाब से बिलकुल सही है. इस सुन्दर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Shyam Narain Verma on January 9, 2014 at 12:10pm

आदरणीय ,
कवित्त में लय ही मुख्य है | सम प्रयोग बहुत कर्ण मधुर होते हैं |

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
6 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service