For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Vijai Shanker's Blog – July 2014 Archive (9)

घोड़े नहीं रहे --डा० विजय शंकर

घोड़े नहीं रहे , घोड़ों का युग नहीं रहा

मेंढ़क हैं , तरह तरह के मेंढ़क,

हरियाली है उनकीं , हरे हरे से मेंढ़क,

उछलते , कूदते , फांदते , मेंढ़क

न अश्व रहे , न अश्वपुत्र , न ही अश्वपति

न लम्बी दौड़ , न ऊंची कूद ,

न रही कहीं वो गति ,

मीटर दो मीटर की दौड़ें हैं ,

फुट दो फुट ऊंची कूदें हैं ,

आस पास तक गूंज ले

बस ऐसी ही आवाजें हैं ।

उम्मीदों के क्या कहने ,

अरमान वही घोड़ों जैसे ,

नाल हो , जीन हो ,

घोड़े वाली कलगी हो ,

ऊंचाई से… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 31, 2014 at 9:00am — 24 Comments

क्या है जो रोज़ गुनाह करते हो --डा० विजय शंकर

क्या किसी भी सजा से नहीं डरते हो

क्यों रोज़ गुनाह पे गुनाह करते हो

दुनियाँ जहाँन की सब खबर रखते हो

खुद क्या हो बिलकुल बेखबर रहते हो

अपने कर्मों पे नज़र नहीं रखते हो

कौन क्या कर रहा परेशान रहते हो

औरों के खजाने पे नज़र रखते हो

कभी चोरी के नोट अपने गिनते हो

शेर की खाल में गीदड़ नज़र आते हो

घर में आईने बिलकुल नहीं रखते हो

बैसाखियाँ ले कर गुजर बसर करते हो

दौड़ में सबसे आगे हो, दम भरते हो

ईश्वर की दुनियाँ को बहुत बनाते हो

भगवान से… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 10:09am — 12 Comments

चोर को पकड़ो ,सजा दो --डा० विजय शंकर

जिंदगी एक दंड है , अपराध है
गर नहीं कानूनों का साथ है
गरीबी एक नामुमकिन सी चीज है
हर पैदा होने वाला देश का नसीब है
ये देश ये दुनिया किसी की जागीर नहीं है
खिलाफ आदमी कानून बन जाए , सही नहीं है
न धरती तुम्हारी न पानी तुम्हारा
न यहां कोई मिलकियत तुम्हारी है
टैक्स लो और काम करो
चोर को पकड़ो , और सजा दो .
लोगों का जीवन आसान करो .
शासन करना लाज़िम है पर
हुक्म बजाने के न अरमान धरो .

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Added by Dr. Vijai Shanker on July 27, 2014 at 12:13pm — 6 Comments

वह राज तंत्र था --डा० विजय शंकर

वह एक राजतंत्र था

एक द्रौपदी थी , एक ही ,

वह भी थी उसी कुल की .

पिता तुल्य राजा था वह ,

सचमुच पूरा अंधा था वह .

पितामह भी थे, अंध नहीं

पर अंध स्वामिभक्त थे,

सत्ता नहीं सत्ताधारियों के

प्रति समर्पित, आसक्त थे .

चीर हरण था , वह भी

संकेतात्मक , विफल .

पर ले डूबा कुल वंश ,

अंध स्वामिभक्त बड़े

अधिष्ठाता भी नहीं बचे ,

बड़े कष्ट से मुक्त हुए .

हुए नष्ट पाप के सब सहभागी

सती जस माता रही अभागी .

बचा संग अंधा राजा ,… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 10:55am — 14 Comments

बैसाखियाँ- डा० विजय शंकर

बैसाखियाँ बैसाखियाँ बैसाखियाँ ,

हर तरफ बैसाखियाँ ,

उनके लिए जिन्हें जरुरत है ,

उनकें लिए भी , जिन्हें जरुरत नहीं है .

लोगों को बैसाखियों की जरुरत हो न हो

बैसाखियों को तो सबकी जरुरत है.

सब उन्हें लें , उनके सहारे आगे बढ़ें ,

अन्यथा बिलकुल न बढ़ें , नहीं तो ,

बढ़ना क्या , चलने लायक नहीं रह जायेगें .

फिर हमारे पास , हमको लेने आयेंगें .

हमें समझें , हमारा महत्व समझें ,

क्यों हमारा धंधा खराब करते हैं



मौलिक एवं अप्रकाशित.

डा० विजय… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 22, 2014 at 1:16pm — 14 Comments

नई दिशायें खोज डालतें हैं-- डा० विजय शंकर

किताबें ज्ञान हैं , प्रतिमान हैं .

प्रतिबन्ध हैं , दंड हैं , विधान हैं ,

बस कभी कभी हमारे और

आपके प्रति अंध हैं , अज्ञान हैं ,

औरों के लिए महान हैं ,

उनकीं समस्याओं के उत्तर

उनमें विद्यमान हैं .

बस हमारी समस्याओं से ,

अनभिज्ञ हैं , अनजान हैं .

चलो , स्वयं को फिर से विचारते हैं ,

जिन रास्तों से आये

उन्हें मुड़कर निहारते हैं

चूक हुई नज़र आये तो

नये रास्ते निकालते हैं .

दूसरों के पद चिन्हों पर क्यों चले

नैये नैये पद चिन्ह… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 13, 2014 at 10:39am — 6 Comments

कितना अनजान है आदमी-डा० विजय शंकर

हमदर्दी की क्या कहें

कौन किसी के दुःख सुनता है

दूसरे को छोड़िये. आदमी

कब अपने दुखड़े सुनता है

सुनना छोड़िये , अपने

दुःख कब समझता है आदमी ।

ये तो औरों को देख कर

कुछ जान लेता है आदमी ,

अच्छा ऐसे जीता है आदमी ?

ऐसे खाता है , ऐसे पीता है

ऐसे ऐसे हँसता है आदमी

मुझे नहीं सिखाता है आदमी

आदमी का भला करना ही

नहीं चाहता है आदमी ।

आदमी से दूरी बनाता है आदमी

आदमी आदमी के बीच तरह ,

तरह की दीवारें बनाता है आदमी

दीवारों के इस… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 11, 2014 at 1:54pm — 10 Comments

पर्यावरण दिवस पर नाइट्रोजन नुट्रिलिटी - कोस्टा रीका -डा० विजय शंकर

धूल मिटटी है , सोना है , ताकत है इतनी कि जिसमें मिल जाए उसे मिटटी बना डाले . पर खेत में हो तो सचमुच सोना ही सोना . खेत के अलावा कहीं भी हो तो मुश्किल ही मुश्किल , हटाना ही पड़ता है . हटा भी दिया लोगों ने धूल को, कम से कम आवासीय परिक्षेत्र से , सड़कों से , तो हटा ही दिया है . धूल को हटाने के तरह तह के तरीके अपनाते हैं लोग , यहां तक की फूलों की क्यारियों में , गमलों में , पेड़ों के थालों में लकड़ी की छोटी छोटी खप्पचियां मोटी-मोटी परतों में भर देते हैं जिससे उतनी धूल भी न उड़े और उनकें जीवन को… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 8, 2014 at 8:33pm — 7 Comments

जमीर कीमती है ,रखते हैं - डा० विजय शंकर

हवा में दम है , उड़ा के ले जाये हमको ,

जम गए हम तो खुद ना हीं हटा करते हैं |



हुकूमत है , हुक्मरान बदलते रहते हैं ,

साथ में हम भी बदलें , यह नहीं करते हैं |



मंहगाई है ,दिन ब दिन बढ़ती रहती है ,

भाव बढ़ा लें अपना ,न , हम नहीं करते हैं |



कमोडिटी नहीं हैं , गायब हैं बाजार से ,

ज़िंदा हैं , खिदमत है दुनियां की, करतें हैं |



जमीर कीमती है , औकात है ,रखते हैं ,

सौदागर हैं , यह तिज़ारत नहीं करते हैं |



मौलिक एवं… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2014 at 1:00pm — 13 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
12 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
15 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service