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Manan Kumar singh's Blog – June 2017 Archive (2)

गजल(क्या करेगा...)

2122 2122 212

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क्या करेगा माँद का मारा हुआ

बन गया मुजरिम अभी हारा हुआ।1



लोग कसते फब्तियाँ,बेजार वह

'लाल' कल का आज बेचारा हुआ।2



मौसमों की मार खाकर शीत जल

पर्वतों से भी ढुलक खारा हुआ।3



दी हवा जब,थरथरायीं चोटियाँ,

छटपटाता आज,नक्कारा हुआ।4



बंदगी में थे खड़े सब लोग तब

अब ठिठोलीबाज जग सारा हुआ।5



जो मिली कुर्सी,सलामत भी रहे

हर दिशा में आज यह नारा हुआ।6



सीढियाँ दी तोड़ जब ऊपर… Continue

Added by Manan Kumar singh on June 23, 2017 at 8:53am — 3 Comments

गजल(अक्ल के मारे हुए हैं..)

2122 2122

अक्ल के मारे हुए हैं

हम सभी हारे हुए हैं।1



आज मसले बेवजह के

देखिये नारे हुए हैं।2



जो नहीं थोड़ा सुहाये,

आँख के तारे हुए हैं।3



लूटते हैं जिस्म-ईमां

जान हम वारे हुए हैं।4



दान कर दीं कश्तियाँ भी

आज बेचारे हुए हैं।5



कान देते, बात बनती

वे उबल पारे हुए हैं।6



बाग भर मैं देख आया,

तिक्त फल सारे हुए हैं।7



सब लिये हैं गीत अपने

भाव को टारे हुए हैं।8



हंस ढूँढ़े, मिल… Continue

Added by Manan Kumar singh on June 2, 2017 at 8:24pm — 13 Comments

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