For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Vijay Prakash Sharma's Blog – June 2014 Archive (10)

कस्तूरी

हम क्यों खोजते है
सच को
बार बार?
कस्तूरी के
मृग की तरह
वो तो सदा
हमारे बीच
ही रहता है.
हम उसे रोज
देखते है
सुनते हैं
सूंघते हैं
पर अंजान बन
उंघते है.
अगर हमने
मान लिया
हम सच जानते है
तो लोग हमें
झूठा कहेंगे
क्योंकि वो भी

कस्तूरी गंध के
सच को जानते है.

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 29, 2014 at 9:30pm — 17 Comments

सच-झूठ

सच-झूठ,दिन-रात
बनाते रहते हैं लोग.
औरत और आदमी को
अलगाते रहते हैं लोग.
हर रोज जीवन को
उलझाते रहते है लोग.
कभी बनाते है भोग्या
तो कभी चढ़ाते हैं भोग.
नर-नारीपूरक हैं,
नही समझ पाते लोग.
दोनो का सम- भाव हो
कब आएगा यह संजोग?

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 25, 2014 at 9:00pm — 12 Comments

घूंघट में है सच

क्यों घूंघट में है सच?
क्योंकि तुमने प्रयास नहीं किया
कभी इस और ध्यान नहीं दिया.
उलझे रहे जीवन के उहापोह में
परायों के दोष अपनों के मोह में.
अगर तुमने हिम्मत दिखाई होती
कभी अपनी अंतरात्मा जगाई होती.
देखा होता उठाकर तुमने घूंघट,
ख़ुशी भरा होता आँगन खचाखच.

डॉ.विजय प्रकाश शर्मा.
मौलिक और अप्रकाशित

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 22, 2014 at 10:00am — 14 Comments

अंतःकरण की शुद्धि

अंतःकरण की शुद्धि

सुबह में , शाम में,

वर्षा और घाम में,

जीवन के साम-दाम में,

अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

देवता के पूजन में ,

मन्त्रों के गुंजन में,

सज्जन और दुर्जन में,

अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

राग-वैराग्य में,

स्वार्थ और त्याग में ,

जीवन सौभाग्य में,

अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

दुःख में क्लेश में

किसी भी वेश में ,

दुर्भाग्य और भाग्य में,

अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा …

Continue

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 20, 2014 at 8:08pm — 15 Comments

वेदना -निग्रही

माँ
मान भरे ममता का आँचल
तो पिता
सर पर नीलाभ आसमान है
दोनों का स्नेह एक सामान है.
माँ
बच्चों के दर्द से बिलबिला जाती है
तो पिता की चिंता
दर्द की दवा बन जाती है.
माँ कोमलता से भरी है
तो पिता के परुष से
विपत्तियाँ भी डरी है.
बच्चों के लिए
दोनों का स्नेह ही
वेदना -निग्रही है.

डॉ.विजय प्रकाश शर्मा
(मौलिक और अप्रकाशित)

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 15, 2014 at 12:05pm — 10 Comments

छपास

जब से "छपास" का

रोग लगा है.

लिखना रुकता ही नहीं ,

कविता अतुकांत,

कहानी अनगढ़ी ,

बिना यात्रा किये

यात्रा वृतांत,

बिना मिले

विरह वर्णन,

बिना प्यार किये,

रोमांच का सच.

वृद्ध हाथों में

क्रांति की मशाल,

बिना सच जाने

चेतावनी!

क्या मजाल,

कि आप कुछ बोल दें.

जरा सा सच का पर्दा खोल दें

चैनलों पर रात-दिन देखिए,

 पूरे देश में,

"नपुंसक बवाल".

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा

(मौलिक व् अप्रकाशित…

Continue

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 15, 2014 at 12:30am — 14 Comments

डगर

वैसे तो मैं
हर डगर से पहुँच जाता हूँ
तेरे पास .
मगर यह
प्रेम डगर बहुत कठिन है.
तुम्ही आ जाओ न
ढलान से होकर.

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा
(मौलिक व् अप्रकाशित )

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 12, 2014 at 8:00pm — 17 Comments

स्नेह

तुम रुको,
मैं स्नेह से
दीपक जला लूँ.

तुम झुको,
मनुहार से मैं
चित्र भावों का बना लूँ .

कौन जाने कब
मिले फिर
आज तो यह गीत गालूँ.

तुम रुको,
मैं स्नेह से
दीपक जला लूँ.

विजयप्रकाश
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 10, 2014 at 1:03pm — 8 Comments

जीत

तुम हर पल जीतना चाहते हो
हारना तुम्हारी फितरत में नहीं है
कोई तुम्हारी युद्ध से
लौटी तलवार को
छूना नहीं चाहता
तुम्हारे रक्त-रंजित  हाथ
अब तुम्हारी माँ भी
नहीं पहचानती.
तुम्हारे बाल सखा कबके
विलीन हो गए रणभूमि में
तुम्हारी जीत के लिए.
कोई तुम्हारे कमजोर
पलों में
साथ नहीं देना चाहता
इतनी जीत का क्या करोगे?

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा

(मौलिक व अप्रकाशित )
 

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 10, 2014 at 11:30am — 14 Comments

तुम

तुम नीलाभ
नीरव गगन में
ध्रुवतारे की तरह
अविचल
कैसे रह लेते हो?
शायद तुममें
मानव-मन की
विचलन
का बोध नहीं .

या स्थितिप्रज्ञ हो गए हो.

विजयप्रकाश
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 10, 2014 at 12:00am — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service