For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सपनो का गाँव,
पीपल की छावो,
नदी का वह तट ,
नहाती जहाँ झट -पट
किनारे के लोग कभी
नहीं देखते थे एकटक .
बदल गए वो भाव
बदल गया गाँव,
झूमर औ गीत गए
रिश्ते अब रीत गए
लक्ष्मी जब भाग गई
आँखों की लाज गई
अब दीदे हुए बेशर्म
गाँव का माहौल गर्म
आतंक, भूख , भय
राजनीती देती प्रश्रय
सुख गए अब खेत,
माटी बन गई रेत,
भागे सब शहर को
कौन करे अब सेत.
पसर रहा है मौन
जिम्मेवार है कौन?
विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 999

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 11:59pm

आदरणीय विजय प्रकाशजी.. ऐसा आपऔर हम क्या छन्दशिरोमणि तुलसीदास तक कहते पाये जाते हैं - 

न जानामि योगं जपं नैव पूजां.. नतोहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं ...

यानि, मैं न तो योग जानता हूँ, न जप और न पूजा ही.. हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ..

नमन..

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 10, 2014 at 11:37pm

आ० सौरभ जी,
आपका सचेतक मिला पर मेरा चेतन संज्ञान ले पाये तब बात बने,मैं यथासंभव प्रयत्न करता रहूँगा.
"पूजा की विधि नहीं जानता, फिर भी नाथ चला आया". सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 11:23pm

कविताकर्म के लिए बधाई, आदरणीय. एक सार्थक प्रश्न का विन्यास गढ़ती इस रचना के होने पर हार्दि शुभकामनाएँ.

वैसे, अब अपेक्षा है कि प्रस्तुतीकरण के प्रति भी हम सचेत हों.

शुभ-शुभ

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 6, 2014 at 7:40pm

आ० आशुतोष जी, इस रचना पर आपने भेजी बधाई, बहुत धन्यवाद सह अभिनदंन.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 6, 2014 at 7:37pm

प्रिय अनंत जी, आपको रचना पसंद आयी और आपने भेजी बधाई,
आपको बहुत धन्यवाद सह आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 6, 2014 at 5:07pm

आदरणीय विजय जी   वर्तमान परिदृश्य में हो रही तबाही का मंजर आपने शसक्त रचना के माध्यम से किया इसके लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2014 at 4:52pm

आदरणीय चिंतनीय विचारणीय सत्य कहा है आपने बहुत ही सशक्त प्रस्तुति आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 6, 2014 at 11:08am

आ० संतलाल करुण जी,
रचना के भावो आपको अच्छे लगे और आपने साधुवाद दिया.आपका अभिनन्दन सह आभार.

Comment by Santlal Karun on July 6, 2014 at 7:53am

आदरणीय शर्मा जी,

आज के ग्रामीण यथार्थ को आप ने व्यंग्य-कविता के माध्यम से संक्षेप में कह दिया है--- 

"किनारे के लोग कभी 
नहीं देखते थे एकटक."

         ***

"अब दीदे हुए बेशर्म 
गाँव का माहौल गर्म
आतंक, भूख , भय 
राजनीती देती प्रश्रय 
सुख गए अब खेत,
माटी बन गई रेत,"

... सहृदय साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 5, 2014 at 5:09pm

आ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
आपने सराहा, मान दिया ,अहोभाग्य हमारे.
अकिंचन का आभार सह अभिनन्दन स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service