है कहाँ फूल जैसा खिला आदमी
हो गया है ग़मों का किला आदमी
मंदिरों, मस्जिदों में रहे ढूँढते
जब मिला आदमी में मिला आदमी
गाँठ दिल में लगी तो खुली ही नहीं
भूल पाया न शिकवा-गिला आदमी
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on May 24, 2019 at 10:07am — 9 Comments
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