For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

TEJ VEER SINGH's Blog – May 2019 Archive (4)

गंगा - लघुकथा -

गंगा - लघुकथा -

शंकर सेना में  हवलदार था। उसकी पोस्टिंग सिलीगुड़ी में थी। आज उसका अवकाश था तो अपनी साईकिल उठा कर शहर घूमने निकल गया। घूमते घूमते एक घर के दरवाजे पर उसकी निगाहें अटक गयीं। एक खूबसूरत युवती खड़ी थी। उसकी शक्ल हूबहू उसकी बचपन की दोस्त गंगा से मिल रही थी।

गंगा लगभग आठ दस साल की थी कि तभी कोई ठग उसे बहला फ़ुसला कर उड़ा ले गया था। यह घटना दिल्ली में हुई थी। परिवार ने बहुत खोज बीन की लेकिन गंगा का कुछ पता नहीं लगा। पुलिस में भी रिपोर्ट दी गयी थी।

शंकर कुछ देर असमंजस…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on May 22, 2019 at 10:11pm — 4 Comments

मेरा भारत महान - लघुकथा -

मेरा भारत महान - लघुकथा -

राजू का इस बार वोट देने का पहला अवसर था। वोटर लिस्ट में भी नाम आ गया था। वोटर स्लिप भी घर आ गयी थी। वह बहुत रोमांचित हो रहा था। पहली बार मतदान का कैसा अनुभव होता है, अपने मित्रों से पूछता फिरता था।

वे उसे अपने अपने अनुभवों के आधार पर किस्से सुनाते तथा साथ ही सलाह भी देते कि किसको वोट देना है। लेकिन उसने सोच रखा था कि वोट तो अम्मा द्वारा बताये नेता को ही दूँगा। इस दुनियाँ में उसकी सब कुछ अम्मा ही थी। बापू तो बचपन में ही गुजर गये थे।अम्मा ने बड़े दुख झेल…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on May 21, 2019 at 10:17am — 8 Comments

बौना आदमी - लघुकथा -

बौना आदमी - लघुकथा -

रहीम ने अपने लंबे कुर्ते की झोली में ढेर सारे गेंहू लेकर जैसे ही घर की देहरी पर क़दम रखा, उसकी अम्मी की तेज़ नज़रों में पकड़ा गया,"रहीम यह क्या है तुम्हारे कुर्ते की झोली में?"

"अम्मीजी, इसमें गेंहू हैं।"

"गेंहू कहाँ से मिले तुम्हें?"

"अम्मीजी,चौधरी काका के खलिहान से उनकी गेंहू की फ़सल बैलगाड़ी से घर लाई जा रही थी।उनकी बोरियों में किसी बोरी में छेद रहा होगा तो उसमें से गेंहू नीचे जमीन पर गिरते जा रहे थे।मैं उस बैलगाड़ी के पीछे आ रहा था।सो मैं वह उठा…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on May 18, 2019 at 10:36am — 10 Comments

विकास - लघुकथा -

विकास - लघुकथा -

"शक़ूर भाई, चलो भी अब, चार बज गये। नेताजी के आने का समय हो गया।"

"मुन्ना जी, हमारे देश के नेता कभी समय से आते हैं क्या? अगर ये लोग इतने ही समय के पाबंद होते तो आज देश की ये हालत नहीं होती।"

"वह सब तो ठीक है पर अपने को इन सब बातों से क्या लेना देना।अपने को तो अपनी दिहाड़ी से मतलब|"

"अरे यार मुझे तो इसका भाषण भी सुनने को मन नहीं करता। अपने ऑटोवालों की यूनियन लीडर से भी घटिया भाषा प्रयोग करता है।"

"भाई जी, हम उसके संस्कार तो बदल नहीं सकते। वैसे…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on May 7, 2019 at 10:15am — 12 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service