मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२२
दूध को जो दूध और पानी को पानी लिख रहे हैं
लोग वो कम ही बचे जो हक़बयानी लिख रहे हैं
खेत में ओले पड़े हैं नष्ट सब कुछ हो चुका है
कूल है मौसम बहुत वे ऋतु सुहानी लिख रहे हैं
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 27, 2020 at 6:59pm — 10 Comments
2122 2122 2122 2
एक ग़ज़ल मीठी सुनाकर बैठ जाऊँगा
मैं तुम्हारे दिल में आकर बैठ जाऊँगा
वक्त मुझको अपने आने का बताओ तो
राह में पलकें बिछाकर बैठ जाऊँगा
सामने सबके कहूँगा प्यार है तुझसे
ये न सोचो मैं…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 21, 2020 at 5:30pm — 4 Comments
जीवन के रिश्तों में इतने झोल नहीं होते
अपने मुँह में जो ये कड़वे बोल नहीं होते
रस्ता एक पकड़ कर यदि चलते ही जाते हम
मंजिल तक अपने पग डाँवाडोल नहीं होते
कृष्ण भक्ति में अगर नहीं डूबी होती मीरा
उसके प्याले में भी…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 18, 2020 at 9:10am — 6 Comments
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