For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Vijai Shanker's Blog – April 2015 Archive (10)

कुछ उलटा , कुछ सीधा -- डॉo विजय शंकर

अच्छाइयों के लिए फ़िकर क्यों करें
बुराइयों में बड़ा मजा आता है ||

भजन भगवान के करम शैतान के
कर के देखो बड़ा मजा आता है ||

सीधी बातें छोडो, गलतफहमियां
पालो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

सच है, पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
राजनीति है ,बड़ा मजा आता है ||

सबसे लड़ लेते हो, इक बार लड़ो ,
खुद से, देखो, बड़ा मजा आता है ||

झूठ सौ बोलते हो , एक बार सच
बोलो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Added by Dr. Vijai Shanker on April 26, 2015 at 10:00am — 14 Comments

विवशता (लघुकथा) : डॉo विजय शंकर

बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम था आज मंत्री जी का। सारे दिन शैक्षिक गुणवत्ता की कायर्शाला में अधिकारियों , शिक्षाविदों के साथ वाद-विवाद में जबरदस्त सक्रिय रहे माननीय मंत्री जी, बार बार यही दोहराते रहे , " सदियों से हम विश्व-गुरु रहें हैं, हम ऐसी शिक्षा दें कि कोई भी शिक्षा के लिए विदेश न जाना चाहे।"

शाम घर जाते कार में पी ए से बता रहे थे:

"हफ्ते भर बाहर रहूंगा, रात दिल्ली निकल रहा हूँ I कल अमेरिका की फ्लाइट है, बेटे को हॉस्टल छोड़ कर आना है।.कहाँ कहाँ का जुगाड़ लगाया है तब एडमिशन मिला…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 23, 2015 at 9:00am — 26 Comments

कलियुग में सतयुग चाहते हैं---- डॉo विजय शंकर

किस युग में रहते हैं हम ,

समय के साथ नहीं चलते हैं ,

सतयुग और द्वापर की बात

कलियुग में करतें हैं हम ,

सुदूर अतीत को वर्तमान में लाते हैं

सतयुग को कलियुग में मिलाते हैं

अपने समसामयिक युग को

समझ नहीं पाते हैं हम ,

महापाप करते हैं हम ,

समय की गति और दिशा

कुछ भी नहीं पहचानते हैं ,

गिरती दीवार थामते हैं हम।

गया वक़्त लौट के नहीं आता

जानते हैं , मानते नहीं हैं हम ।



रावणों के बीच कलियुग में रहते हैं ,

रावण के पुतले जलाते… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 19, 2015 at 9:57am — 14 Comments

हादसे --- डॉo विजय शंकर

हादसे होते रहते हैं ,

कवरेज होते रहते हैं,

लोग देखते रहते हैं ,

चि ची ची करते रहते हैं ,

बयान होते रहते हैं ,

बहस के शो होते रहते हैं,

संवेदनाओं के लिए

दौरे होते रहते हैं ,

आंसू पोछे जाते हैं ,

आंसू बहाये जाते हैं ,

आंकड़े दिखाए जाते हैं ,

कितने कम हो रहे हैं ,

बताये , गिनाये जाते हैं ,

कितने गुहार नहीं होते ,

वो , नहीं गिनाये जाते हैं ,

अदालतों में पड़े , बढ़ते केस

कभी नहीं बताये जाते हैं ,

फैसले भी कब होते… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 10:24am — 20 Comments

चंद शेर - प्यार पर -- डॉo विजय शंकर

चलो ये अच्छा हुआ कि प्यार अंधा होता है

वर्ना किस किस से उसे दो चार होना पड़ता ||



पंखुड़ी गुलाब मासूमियत जिसके नाम है

झूठ फरेब धोखा सब उसे देखना पड़ता ||



जिसकी मरने जीने की लोग कसमें खाते हैं

उस प्यार को कभी खुद शहादत में आना पड़ता ||



प्यार जिसके फैसले पे लोग मर मिट जाते हैं

अदालती कटघरे में उसे खड़ा रहना पड़ता ||



दुनियाँ सब देख के अंधी बनी रहती है

प्यार को भी ऐसा ही गुनाह करना पड़ता ||



मौलिक एवं अप्रकाशित

डॉo… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 12, 2015 at 10:11am — 10 Comments

बात गज़ब की करते हो -- डॉo विजय शंकर

हालात बदलने की बात करते हो

आदमी बदल देते हो

हालात बदल नहीं पाते ,

या बदलना नहीं चाहते हो।

खुद को तरक्की पसंद कहते हो

तरक्की की बात करते हो

काम करने के पुराने तरीके

नहीं बदलते हो ,

आदमी बदल देते हो ।

उसने बहुत सहा , अब तुम सहो ,

इसी को सामाजिक न्याय कहते हो ,

गज़ब करते हो बिना हींग फिटकरी के

रंग चोखा करते हो ॥

तरक्की की बात करते हो

खुद को तरक्की पसंद कहते हो ॥

अच्छा करते हो कि बुरा, पता नहीं

पर बात गज़ब की करते हो… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 9:42am — 27 Comments

कभी यूं भी-क्षणिकाएँ - 5 --- डॉo विजय शंकर

1. न कहीं जाना था

न जल्दी में थे हम

तुमने रोका नहीं

दूर हो गए हम………



2. जलने वाले

पीठ पीछे जलते हैं

जल के रौशनी भी

अपनों के लिए ही करते हैं ………



3. चले गये

मेरी जिंदगी से वो

किताबों के कमजोर कवर

जल्दी उत्तर जाते हैं

गुम हो जाते हैं ..............







4. अपनापन तो

कहीं भी होता है

वहां भी , जहां अपना

कोई भी नहीं होता है ………



5. ख़्वाब अधूरे नहीं ,

पूरे थे ,

अफ़सोस… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 12:00pm — 16 Comments

शिक्षा और अंगूठा -- डॉo विजय शंकर

द्रोणाचार्य

एक युग प्रवर्तक शिक्षक ,

राजकीय सरंक्षण के शिक्षक ,

सरकारी व्यवस्था के आधीन ,

शिक्षक और वह भी पराधीन ,

एकलव्य से अंगूठा मांगने को विवश ,

शिक्षा को सीमित करने को लाचार।

राज्य के राजकीय गुरु थे द्रोण ,

सरकारी अध्यापक से थे द्रोण ,

राजपुत्रों को पढ़ाते थे द्रोण

राजहित में पढ़ाते थे द्रोण ,

जनहित नहीं जानते थे द्रोण ,

राजहित में ही एकलव्य से अंगूठा

मांग बैठे थे बिचारे द्रोण ………



एक परम्परा छोड़ गए द्रोण… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 4, 2015 at 10:37am — 12 Comments

चंद शे'र --- 1 ---डॉo विजय शंकर

अपने में ही खोये हुए से रहते हो

तुम्हें लोग कहाँ कहाँ ढूंढते रहते हैं ||



तुमको देखा इक हादसा हो गया ,

भला आदमी एक खुद से खो गया ।



लफ्जों को यूँ तौल तौल के बोलते हो

बच्चों से क्या कभी बात नहीं करते हो ||



लफ्जों को इतना महीन क्यों तौलते हो

बात करते हो या कारोबार करते हो ||



हमेशा दिमागी उधेड़बुन में रहते हो ,

दिल की बात कभी किसी से नहीं करते हो ॥



दिखाते हो दिल से कभी नहीं उलझे हो

बहकाते हो छलावा किस से करते हो… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 2, 2015 at 7:04pm — 16 Comments

अक़्ल पे यकीन नहीं रह गया दोस्तों ---डा० विजय शंकर

पहली अप्रेल की भेंट



अब तो अक़्ल पे यकीन नहीं रह गया दोस्तों ,

आप ही बताएं अक़्ल बड़ी या भैंस दोस्तों ॥

आप कहेंगें अक़्ल बड़े काम की चीज है

मैं कहूँगा, अक़्ल से काम लो , अक़्ल

किसी काम की चीज नहीं है दोस्तों ॥

अक़्ल हमेशा भैंस से मात खा जाती है ,

सामना भैंस से हो तो गुम हो जाती है ॥

अक़्ल अपनी हिफाज़त ही नहीं कर पाती है

भैंस उसे देखते देखते ही चर जाती है ॥

अक़्ल कुछ देती है , पक्का मालूम नहीं ,

भैंस अक्सर दूध देती तो है दोस्तों… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on April 1, 2015 at 10:10am — 14 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service