For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Samar kabeer's Blog – April 2017 Archive (4)

क़दम उठाने से पहले विचार करना था

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन



(आख़री शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ नज़र अंदाज़ करें और शैर का लुत्फ़ लें)



अगर वफ़ा का चलन इख़्तियार करना था

क़दम उठाने से पहले विचार करना था



ये एक बार नहीं बार बार करना था

बग़ैर नाव के दरिया को पार करना था



हुसूल-ए-इल्म की ख़ातिर भटकते फिरते हैं

ग़ज़ल का फ़न जो हमें बा वक़ार करना था



उठाके बोझ ज़माने का तेरी चाहत में

शऊर-ओ-फ़िक्र की सरहद को पार करना था



वो मेरी तेग़ से मरता तो क्या मज़ा आता

उसी… Continue

Added by Samar kabeer on April 20, 2017 at 12:04am — 31 Comments

तरही ग़ज़ल नंबर-3

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

(मक़्ते में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ को नज़र अंदाज़ कर दें)



रफ़्ता रफ़्ता सारी अफ़वाहें कहानी हो गईं

तल्ख़ियाँ इतनी बढ़ीं रेशा दवानी हो गईं



हिज्र की रातों में इतनी बार उनके ख़त पढ़े

याद मुझको सारी तहरीरें ज़बानी हो गईं



हाल वो देखा ग़ज़ल का आज यारो,शर्म से

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' की भी रूहें पानी पानी हो गईं



क़ह्र को बाँधें क़हर वो और टोको तो कहें

शे'र कहने की ये तरकीबें पुरानी हो गईं



जानते हो ख़ूब यारो ओबीओ के मंच… Continue

Added by Samar kabeer on April 9, 2017 at 12:13am — 37 Comments

तरही ग़ज़ल नंबर-2

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन



आज तारीफ़ें मिरी उनकी ज़बानी हो गईं

हासिदों की देख शकलें ज़ाफ़रानी हो गईं



उनके रुख़सारों की गर्मी अलअमाँ सद अलअमाँ

सब चटानें बर्फ़ की यकलख़्त पानी हो गईं



आज हैं मासूम सीता की तरह ये रावणों

क्या करोगे लड़कियाँ गर ये भवानी हो गईं



देखते थे कल हिक़ारत से हमें वो देख लें

किस क़दर नस्लें हमारी आज ज्ञानी हो गईं



मैं तो हूँ ख़ामोश लेकिन लोग कहते हैं "समर"

तेरी ग़ज़लें एह्ल-ए-दिल की तर्जुमानी हो… Continue

Added by Samar kabeer on April 6, 2017 at 12:29am — 31 Comments

ओबीओ की सातवीं सालगिरह का तोहफ़ा

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

(एक शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ नज़र अंदाज़ कर दें)





जो कहूँ जो लिखूँ ओबीओ के लिये

यूँ समर्पित रहूँ ओबीओ के लिये



माँगता हूँ यही आजकल मैं दुआ

जब तलक भी जियूँ ओबीओ के लिये…



Continue

Added by Samar kabeer on April 1, 2017 at 2:30pm — 43 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
23 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service