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मनोज अहसास's Blog – April 2019 Archive (2)

एक ग़ज़ल मनोज अहसास

22  22  22  22  22  22  22  2

एक ताज़ा ग़ज़ल

आदमी सोच के कुछ चलता है,दुनिया में हो जाता कुछ।

मानव की इच्छाएं कुछ है, अर मालिक का लेखा कुछ ।

अपने अपने दुख के साये मैं हम दोनों जिंदा है ,

तू क्या समझे,मैं क्या समझूं, तेरा कुछ है, मेरा कुछ ।

दुनिया के ग़म ,रब की माया और सियासत की बातें ,

खुद से बाहर आ सकता तो, इन पर भी लिख देता।

एक जरा सी बात हमारी हैरानी का कारण है,

ख्वाब में हमने कुछ देखा था ,आंख खुली तो…

Continue

Added by मनोज अहसास on April 23, 2019 at 10:51pm — 5 Comments

एक ग़ज़ल मनोज अहसास

221   2121   1221   212

फरियाद कोई उनसे सुनाई नहीं जाती ।

आंखों से मगर ,बात छुपाई नहीं जाती ।

मैं जानता हूं ,तू मेरे हक में नहीं है पर

दिल से तेरी तस्वीर मिटाई नहीं जाती ।

जो बात जला देती है दिल को मेरे अक्सर

वो बात किसी से भी बताई नहीं जाती।

तुझपे न असर होगा किसी बात का मेरी

फिर भी मेरे होठों से दुहाई नहीं जाती ।

बारिश में बिखर जाते हैं जिनके सभी खुश रंग

तस्वीर वो अश्कों से सजाई नहीं…

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Added by मनोज अहसास on April 3, 2019 at 5:06pm — 3 Comments

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