For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Vijai Shanker's Blog – March 2015 Archive (13)

गलत करने का हक़ -- डा० विजय शंकर

सही होने ,

सही कहने ,

सही करने का

अधिकार किसको चाहिए ॥

किसी को थोड़ा ,

किसी को ज्यादा ,

गलत कर लेने का

हक़ सबको चाहिए ॥

किसी-किसी को तो

गुनाह करने का अख्तियार ,

भी बेइंतिहा चाहिए ॥



दुनियाँ को अच्छा होना चाहिए ।

हमारे गुनाहों पे पर्दा होना चाहिए ।

हमारे गलत कामों पर चुप,

निगाह नीची , और चर्चा पर

कठोर प्रतिबंध होना चाहिए ।

दुनियाँ में कुछ तो

शर्म-औ-हया होनी चाहिए ।

हम हैं तो ये जहांन है, ज़माना… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 29, 2015 at 4:54pm — 20 Comments

इच्छायें और चाहतें -- डॉo विजय शंकर

चाहतें इतनी ,

ये मिल जाता ,

वो मिल जाता ,

जो चाहा वो मिल जाता ,

कितना अच्छा हो जाता ।

चाहतें ही चाहतें

इच्छाओं की क्या कहें ,

पनपती ही नहीं ,

चाहतें हैं कि कम होती ही नहीं ,

इच्छायें है कि जनम लेतीं ही नहीं ,

इच्छा को इच्छा - शक्ति चाहिये ,

तभी फलीभूत होती है ,

चाहतें स्वयं सशक्त होती हैं।

बढ़ती हैं, अपने आप ,

देख के दूसरों को बढ़ती हैं ,

इच्छाएं नहीं बढ़ती हैं ,

स्वयं तो बिकुल नहीं ,

इच्छा को वहां भी शक्ति… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 24, 2015 at 9:31am — 16 Comments

हम तन्हा कहाँ होते हैं --डा० विजय शंकर

हम जब तन्हा होते हैं ?

तुम्हारे साथ होते हैं

तुमसे बातें करते हैं

तुमको देखा करते हैं

तुम्हारी मुस्कुराहटों में

हँसते हैं , जी लेते हैं

तुमसे सवाल करते हैं

तुम्हारे जवाब देते हैं

तुम्हारे हरेक सवाल के

सौ सौ जवाब देते हैं

कितनी बार पूछती हो

जब आप तन्हा होते हैं

तब आप क्या करते हैं ?

हम तन्हा कहाँ होते हैं

हम जहां भी होते हैं

तुम्हारे साथ होते हैं

हर बात मान लेती हो

इस पर यकीं नहीं करतीं

जब हम प्यार में होते… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 21, 2015 at 9:17pm — 10 Comments

वो आगे जाते रहे, हम पीछे जाते रहे - डॉo विजय शंकर

दुनियाँ में लोग

मन की गति से

अरमान पूरे करते रहे ,

जो चाहा उसे

हासिल करते रहे ,

हम हसरतों को

दबाने , मन मारने ,

के हुनर सिखाते रहे।

जो है उसे पाने में

वो जिंदगी पाते रहे ,

हम उसी को मिथ्या

और भ्रम बताते रहे।

वो गति औ प्रगति गाते रहे

हम सद्गति को गुनगुनाते रहे ,

वो आगे जाते रहे ,

हम पीछे जाते रहे ,

वो देश को सोने

जैसा बनाते रहे ,

हम देश को सोने की

चिड़िया बताते रहे ,

लोग उल्लुओं को

पास आने… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 19, 2015 at 9:43am — 19 Comments

जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता

खोने का मजा भी आ गया होता ,

जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के

कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,

रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे

कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,

दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है

जी भर के इसको , देख लिया होता ,

कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता

कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,

कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं

जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,

जिंदगी को नसीहतें… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 9:10pm — 28 Comments

किसको बतायें -एक कोशिश - डॉo विजय शंकर

सम्हाल सके न इश्क किसको बतायें
हम काबिल ही न थे किसको बतायें |

जगहंसाई अपनी क्योंकर करायें
तुम बेवफा निकले किसको बतायें |

तुम खेल गये खेल था तुम्हारे लिये
हम समझे क्या उसे किसको बतायें |

लगा दुनियाँ जीत ली संग तुम्हारे
पर हम हर पल हारे किसको बतायेँ |

इक काँटा चुभे उसकी फितरत है
फूल भी चुभता है किसको बतायें

वजह भी बेवफाई की होती है
वजह वो खुद हम थे किसको बतायें |

Added by Dr. Vijai Shanker on March 13, 2015 at 9:30pm — 16 Comments

हिम्मत बढ़ाईये , जीते जाइए --डॉ o विजय शंकर

सच बोलने के लिए

गर मासूमियत नहीं,

हिम्मत औ जिगर की

जरूरत पड़ने लग जाए ,

तो समझ लीजिये कि

मासूमियत तो गई ,

बिलकुल चली गई ,

आपकी जिंदगी से ,

आपके आस-पास से ,

आप तो बस जी लीजिये

जिगर से , हिम्मत से।

जिंदगी एक प्यार का नगमा ,

एक मधुर गीत है ,

भूल जाइए , आपके लिए तो ,

बस एक संघर्ष है,

हिम्मत बढ़ाते जाइए ,

और जीते जाइए ,

जीते जाइए |

जब सच के लिए

हिम्मत की जरूरत

पड़ने लग जाए तो समझ जाइए ,

वो दिन… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 6:29pm — 20 Comments

क्यों कहते हो कुछ नहीं हो सकता है--- डॉo विजय शंकर

तुम बता रहे हो ,

मैं जानता हूँ , कुछ नहीं हो सकता ,

सदियों से झेलते आ रहे हैं ,

कुछ हुआ , अचानक अब क्या हो जाएगा।

पर , आओ हम कहें , तुम कहो , सब कहें कि

कुछ नहीं हो सकता , तय तो कर लें कि

क्या कुछ हो नहीं सकता।

वो जो पुरोधा बन के बैठे हैं ,

वह भी यही कह रहें हैं ,

वैसे वो जो चाहतें हैं , वह सब हो जाता है,

भाव बढ़ जाते हैं , मंहगाई बढ़ जाती है ,

उनकीं तारीफ़ , यशोगान हो जाता है ,

बस यही नहीं हो पाता है ,

हम ही दुनिया में अनूठे… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 8:43pm — 26 Comments

इण्डियाज डॉटर क्या है -- डॉo विजय शंकर

इण्डियाज डॉटर क्या है ,

बी बी सी द्वारा बनाई गयी

एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म है ,

एक गंभीर विषय है, हमारी

व्यवस्था, सोंच , नज़रिये को ,

को झकझोर देने वाला विषय है ,

ख़बरों में है, मगर विचार में नहीं |

हमको हमारे बारे में बताती है,

समझो, कुछ तो , हमें समझाती है ,

एक विचार , एक चुनौती है यह ,

सोचना पड़ेगा , ऐसा है कुछ यह।



एक निवेदन है यह ,

किसी की आशा , पूरी जिंदगी ,

लाज , लज्जा , अस्तित्व है यह।

एक दबाई गई सिसकी है… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 12:56pm — 15 Comments

ये नाम-करण कैसे हुआ -- डॉo विजय शंकर

नाम , नाम , नाम ,

नाम से तो यश है,

गौरव है , शान है,

व्यक्ति यशस्वी है,

जीते जी महान है ,

तदोपरांत पूज्य है,

वंदन है , गान है |

कितने नाम हमने दिए ,

कितने महान पैदा किये ,

देव है, पिता है, चाचा है,

भाई जी,ताऊ ,अम्मायें हैं

देवता कितने संख्य हैं,

नेता कितने असंख्य हैं ,

हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,

पर कितने नगणय हैं ,

सब नाम हमारे अपने हैं ,

नामकरण सब अपने हैं ,

मदर इंडिया फिल्म बनी ,

इंडियाज़ डॉटर कौन बनी… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 6, 2015 at 1:09pm — 16 Comments

अचानक याद आया --- डॉo विजय शंकर

कहते हैं गुलाब के साथ

कांटे जरूर होते हैं ,

पर कुदरत ने जीता जागता एक गुलाब ,

ऐसा भी बनाया है कि बनाने वाले की माया

कोई समझ नहीं पाया है,

उसको काँटों से बिलकुल मुक्त बनाया है,

इसे कुदरत की मेहरबानी कहें या नाइंसाफी ,

जो जिंदगी देती हैं उसकी ही जिंदगी को

इस कदर कमजोर बनाया है,

हद हो गयी आदमी ने इसी का

हर तरह से बस फायदा ही उठाया है ,

मर्द होने की अपनी जिम्मेदारियों को

बस यह कह कर निभा दिया है ,

कि हमने मेमने को बता दिया ,

घर… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 5, 2015 at 11:09am — 15 Comments

अपने धंधे , अपने तरीके हैं --- डॉo विजय शंकर

धंधे को मान देना ,

धंधे की बात है ।

पेशेवर खिलाड़ियों को मान-ईनाम ,

खुद एक पेशे की बात है ।

सैनिक के शहीद होने को

पेशे से जोड़ना दुःख की बात है ।



लोगों को हिफाजत दे नहीं पाते ,

वो हादसे के शिकार हो जाएँ

तो बड़ी बड़ी शोक सभाएं ,

कैंडल-मार्च निकलवाते हैं ,

और किया तो कोई गली

सड़क उसके नाम करवाते हैं।



प्रतिभा को हम तभी जानते हैं

जब दूसरे कोई विदेशी

पहले उसे पहचानते हैं ,

तब बड़े जोश खरोश से हम

उसे अपना अपना… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 10:45am — 20 Comments

हालात आदमी के - डॉo विजय शंकर

कितना होशियार है आदमी ,

हर समय सचेत रहता है ,

बुद्धि को प्रखर करता रहता है,

हर एक के दिमाग को पढ़ता रहता है ,

बस, जब लुटता है तो दिमाग से नहीं,

दिल से लुटता है,पूरे दिल से लुटता है ......



दिमाग उस समय भी

उसका चौकन्ना रहता है,

खूब याद रखता है, कि कब कहाँ ,

कैसे-कैसे , कितना-कितना लुटे ,

स्मृति में सब रहता है ,

बार बार , दोहराता रहता है,

सुनाता है अपने लुटने की कहानी,

दूसरों की भी सुनता है कहानी………



और फिर तैयार होता… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 1, 2015 at 11:00am — 21 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service