For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – February 2024 Archive (3)

चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२

*

हमें  एक  नदिया  मिली  नाम की

न थी वो किसी प्यास के काम की।१।

*

जिसे देश कहते  हैं  सब राम का

वहीं  पर  फजीहत  हुई  राम की।२।

*

दुखाती है मन जो  महज याद से

करो अब न  बातें  उसी शाम की।३।

*

बिना उस के ये भी परायी गली

शरण में चलें  कौन  से धाम की।४।

*

मिटायेगी  वाणी  सभी  दूरियाँ

मिठासें रखो बस पके आम की।५।

*

चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर

घड़ी आ गयी तन…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 29, 2024 at 10:42pm — No Comments

यहाँ बाँध घन्टी गले दीप के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'



१२२ १२२/ १२२/१२

जिन्हें भाव जग में खले दीप के

वही  कहते  आरे  चले  दीप के।१।

*

यहाँ बाँध  घन्टी  गले दीप के

तमस जी रहा है तले दीप के।२।

*

बहुत लोग भटके यहाँ साँझ को

नहीं एक  हम  ही  छले  दीप के।३।

*

चले है तमस  यूँ  दिखा आँख जो

लगे सब को अब दिन ढले दीप के।४।

*

कहाँ कब जले घर नहीं है पता

इरादे  कहाँ  अब  भले  दीप के।५।

*

परायों से बढ़ आज अपनो से भय

न बाती ही  कालिख …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 28, 2024 at 2:42pm — No Comments

अँधेरे उजाले मिले प्यार से- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२



अँधेरे    उजाले    मिले   प्यार   से

चकित है मनुज उनके व्यवहार से।१।

*

नहीं काम  आता  किसी  के कोई

मिटे  दुख  भला   कैसे  संसार  से।२।

*

हटा मैल मन का तनिक भी नहीं

नहा कर चले  नित्य  हरिद्वार से।३।

*

न बदला है  कोई  किसी के कहे

जो बदला स्वयं अपने आचार से।४।

*

अकेले न  तुम  हो  असंतुष्ट अब

हमें भी तो शिकवा है दो चार से।५।

*

शिखर चाहते   हैं  सजाना बहुत…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2024 at 11:14pm — No Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service