१२२/१२२/१२२/१२
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 हमें  एक  नदिया  मिली  नाम की
 न थी वो किसी प्यास के काम की।१।
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 जिसे देश कहते  हैं  सब राम का
 वहीं  पर  फजीहत  हुई  राम की।२।
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 दुखाती है मन जो  महज याद से
 करो अब न  बातें  उसी शाम की।३।
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 बिना उस के ये भी परायी गली
 शरण में चलें  कौन  से धाम की।४।
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 मिटायेगी  वाणी  सभी  दूरियाँ
 मिठासें रखो बस पके आम की।५।
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 चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर
 घड़ी आ गयी तन…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 29, 2024 at 10:42pm — No Comments
जिन्हें भाव जग में खले दीप के
 वही  कहते  आरे  चले  दीप के।१।
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 यहाँ बाँध  घन्टी  गले दीप के
 तमस जी रहा है तले दीप के।२।
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 बहुत लोग भटके यहाँ साँझ को
 नहीं एक  हम  ही  छले  दीप के।३।
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 चले है तमस  यूँ  दिखा आँख जो
 लगे सब को अब दिन ढले दीप के।४।
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 कहाँ कब जले घर नहीं है पता
 इरादे  कहाँ  अब  भले  दीप के।५।
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 परायों से बढ़ आज अपनो से भय
 न बाती ही  कालिख …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 28, 2024 at 2:42pm — No Comments
 अँधेरे    उजाले    मिले   प्यार   से
 चकित है मनुज उनके व्यवहार से।१।
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 नहीं काम  आता  किसी  के कोई
 मिटे  दुख  भला   कैसे  संसार  से।२।
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 हटा मैल मन का तनिक भी नहीं
 नहा कर चले  नित्य  हरिद्वार से।३।
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 न बदला है  कोई  किसी के कहे
 जो बदला स्वयं अपने आचार से।४।
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 अकेले न  तुम  हो  असंतुष्ट अब
 हमें भी तो शिकवा है दो चार से।५।
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 शिखर चाहते   हैं  सजाना बहुत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2024 at 11:14pm — No Comments
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