For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरिराज भंडारी's Blog – February 2014 Archive (7)

सात दोहे –'' रिश्ते ''

सात दोहे – '' रिश्ते ''

*******    ******

नाराजी जो है कहीं , मिल के कर लो बात

खामोशी  देती  रही , हर  रिश्ते  को मात

 

रिश्तों  को  भी चाहिये , इन्जन जैसे तेल

बिना  तेल  देखे बहुत , झटके खाते मेल…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 24, 2014 at 9:30pm — 46 Comments

गीत कोई गा रहा है आज मेरे मौन में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122    2122    2122    212

कौन चुपके आ रहा है आज मेरे मौन में

गीत कोई गा रहा है  आज मेरे  मौन में

 

वाक़िया जिसकी वज़ह से दूरियाँ बढ़ने लगीं 

बस वही समझा रहा है ,आज मेरे मौन में

 

ख़्वाब कोई अब पुराना टूट जाने के…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 21, 2014 at 6:30pm — 20 Comments

लफ़्ज़ कब जज़्बात को पूरे पड़े ? ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122        212 ( पूरा ) 

 

इस फ़िज़ा के शोख नज़्ज़ारे भी देख

बाग  मे  पानी के  फौव्वारे भी देख

 

सिर्फ  सूखे  तू शज़र   देखा  न  कर

हो  रहे  पत्ते   हरे   सारे  भी   देख  

 

तू अमा में चाँद  खातिर , ज़िद  न कर…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 17, 2014 at 6:00pm — 32 Comments

मन – पाँच दोहे

मन – पाँच दोहे

************

मन को मत कमजोर कर , फिर से होगी भोर

फिर से गुनगुन धूप में , नाचेगा मन मोर 

 

मन, आखें मीचे अगर , खूब मचाये शोर

आँख अगर हो  देखती , मन…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 11, 2014 at 6:00pm — 28 Comments

बह के पानी की तरह अब दूर तक वो जायेगा ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122   2122  2122    212

बंदरों को फिर मिला शायद मसलने के   लिये

फूल ने मंसूबा कल बान्धा था खिलने के लिये

 

बह के पानी की तरह अब दूर तक वो जायेगा

दर्द  को मैने  रखा था  कल पिघलने के लिये 

 …

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 6:30pm — 16 Comments

सूर्य को तुम देखना अब ओट में होते हुये ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122    2122     2122     212 

सच को देखा आँख मूंदे दिन चढ़े सोते हुये 

आँसुओं से भीगते , बस झींकते रोते हुये

देख भाई बचपनों से, खो न जाये,सादगी   

मैने देखा अनुभवी को धूर्त ही होते हुये

ठीक है अब खूब रोशन आज दिन लगता है…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 4, 2014 at 6:00pm — 22 Comments

वो तन को ढांकते हैं रोशनी से , ( गज़ल ) गिरिराज भन्डारी

1222  1222  122

 

वो तन को ढाँकते हैं रोशनी से

बचा तू ही ख़ुदा इस बेबसी से

बनावट से ज़रा सा दूर रहना  

मै कहना चाहता हूँ , सादगी से

नज़र में मुस्कुराहट, होठ चुप हैं

न जाने कह रहे हैं…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 6:00pm — 38 Comments

Monthly Archives

2025

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
15 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
26 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service