221 2121 1221 212
हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया 
दुश्वारियों को पांव के नीचे दबा दिया
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मेरी तमाम उँगलियाँ घायल तो हो गईं 
लेकिन तुम्हारी याद का नक्शा मिटा दिया  
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मैंने तमाम छाँव ग़रीबों में बांट दी 
और ये किया कि धूप को पागल बना दिया 
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उसके हँसीं लिबास पे इक दाग़ क्या लगा 
सारा  ग़ुरूर ख़ाक़ में उसका मिला दिया 
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जो  ज़ख्म  खाके भी रहा है आपका सदा 
उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया
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उसने निभाई ख़ूब मेरी दोस्ती "…
Added by SALIM RAZA REWA on January 22, 2018 at 9:55pm — 20 Comments
2122 1212 22
तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता
 दिल ये तुझपे फ़िदा नहीं होता    
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 इश्क़ तुमसे किया नहीं होता 
 ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता
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 ज़िन्दगी तो  संवर गयी  होती 
 ग़र वो मुझसे जुदा नहीं होता
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 उसकी चाहत ने कर दिया पागल 
 प्यार  इतना  किया  नहीं  होता 
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 सबको दुनिया बुरा बनाती है 
 कोई इंसाँ बुरा नही होता
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 चोट खाएँ भी मुस्कुराएँ भी 
 अब रज़ा हौसला नहीं होता. …
Added by SALIM RAZA REWA on January 13, 2018 at 10:30pm — 21 Comments
 221 2122 221 2122
 मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है 
 जो यक-ब-यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा है 
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 कुछ भी नहीं है शिकवा कुछ भी नहीं शिकायत
 क़िस्मत में जो है मेरे  वो मुझको मिल रहा है 
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 आंखों में नींद रुख़ पर गेसू बिखर रहे हैं 
 हिज्र-ए-सनम में शायद वो जागता रहा है 
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 शाख़-ए-शजर हैं सूखी मुरझा गई हैं कलियाँ 
 गुलशन हुआ है वीरां कैसा ग़ज़ब हुआ है 
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 इक पल में रूठ जाना इक पल में मान जाना 
 उसकी इसी अदा ने दीवाना कर दिया है…
Added by SALIM RAZA REWA on January 10, 2018 at 11:30pm — 11 Comments
22 22 22 22 22 2
 जो अपने माँ-बाप के दिल को दुखाएगा
 चैन-ओ- सुकूँ वो जीवन भर ना पाएगा
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 हक़ बातें तू हरगिज़ ना कह पाएगा
 अहसानों के तले  अगर दब जाएगा
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 उस दिन दुनिया ख़ुशिओं से भर जाएगी
 जिस दिन प्रीतम लौट के घर को आएगा
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 भूँखा -प्यासा जब देखेगी बेटों को
 माँ का दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा
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 उसकी मुरादें सब पूरी हो जाएंगी 
 दर पे उसके जो दामन फैलाएगा
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 मेरी…
Added by SALIM RAZA REWA on January 7, 2018 at 6:00pm — 12 Comments
212 1222 212 1222
 बज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है 
 महकी सी फ़ज़ाएँ हैं कौन आने वाला है 
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 चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है 
 मेरे घर के आँगन में सुरमई उजाला है 
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 इतनी सी गुज़ारिश है नींद अब तू जल्दी आ 
 आज मेरे सपने में यार आने वाला है
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 जागना वो रातों को भूक प्यास दुख सहना 
 माँ ने अपने बच्चों को मुश्किलों से पाला है 
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 उसके दस्त-ए-क़ुदरत में ही निज़ाम-ए-दुनिया है 
 इस जहान-ए-फ़ानी को जो बनाने वाला है 
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Added by SALIM RAZA REWA on January 4, 2018 at 5:30pm — 28 Comments
2122 2122 2122 212
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मुश्किलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए 
 ग़ैर से क्या  हो गिला अपने  बेगाने हो गए 
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 चंद दिन के फ़ासले के बा'द हम जब भी मिले
यूँ लगा जैसे  मिले  हमको ज़माने  हो गए 
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 पतझड़ों  के साथ मेरे दिन गुज़रते थे कभी 
 आप के आने से मेरे  दिन  सुहाने हो  गए 
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 मुस्कराहट उनकी  कैसे भूल पाएगें  कभी 
 इक नज़र देखा जिन्हें औ हम दिवाने हो गए 
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 आँख में शर्म-ओ-हया, पाबंदियाँ, रुस्वाईयां
उनके न आने के ये…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:00pm — 18 Comments
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