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दर-दर फिरते लोगों को दर दे मौला :
 बंजारों को  भी अपना घर  दे  मौला :
 
 जोऔरों की खुशियों  में खुश होते  हैं :
 उनका भी घर खुशियों से भर दे मौला :
 
 दूर गगन में उड़ना चाहूँ   चिड़ियों सा :
 मुझ को भी वो ताक़त वो पर दे मौला :
 
 ज़ुल्मो सितम हो ख़त्म न हो दहशतगर्दी :
 अम्नो अमां की यूं बारिश  कर  दे मौला :
 
 भूके प्यासे मुफ़लिस और  यतीम हैं जो :
 नज़्र-ए-इनायत उनपर भी कर दे मौला :
 जो करते हैं खून…
Added by SALIM RAZA REWA on January 22, 2015 at 2:00pm — 10 Comments
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