For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरुन 'अनन्त''s Blog – January 2013 Archive (8)

दोहे - एक प्रयास

शब्दों के भण्डार से, भरके मीठे बोल,

बेंचो घर-घर प्रेम से, दिल का ताला खोल,

नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप,

मधुर-मधुर एहसास का, छोड़ गए हो छाप,

मुख में ऐसे घुल गया, जैसे मीठा पान,

भाता सबको खूब है, दोहों का मिष्ठान,

मन में लागी है लगन,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 31, 2013 at 12:13pm — 15 Comments

ग़ज़ल : बहल जायेगा दिल बहलते-बहलते

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों यह ग़ज़ल मैंने तरही मुशायरा अंक -३१, हेतु लिखी थी परन्तु समय न मिलने के कारण न तो प्रस्तुत कर सका और नहीं है मुशायरे में अच्छी तरह से भाग ले सका. क्षमा प्रार्थी हूँ सादर

बिना तेरे दिन हैं जुदाई के खलते,

कटे रात तन्हा टहलते - टहलते,

समय ने चली चाल ऐसी की प्राणी,

बदलता गया…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2013 at 11:19am — 18 Comments

ग़ज़ल - अदब से सिरों का झुकाना ख़तम

ख़ुशी का हँसी का ठिकाना ख़तम,

घरों में दियों का जलाना ख़तम,

बड़ों के कहे का नहीं मान है,

अदब से सिरों का झुकाना ख़तम,

कहाँ हीर राँझा रहे आज कल,

दिवानी ख़तम वो दिवाना ख़तम,

नियत डगमगाती सभी नारि पे,

दिलों…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 21, 2013 at 11:07am — 2 Comments

क्या खुदा भगवान आदम???

खो रहा पहचान आदम,

हो रहा शैतान आदम,

चोर मन ले फिर रहा है,

कोयले की खान आदम,

नारि पे ताकत दिखाए,

जंतु से हैवान आदम,

मौत आनी है समय पे,

जान कर अंजान आदम,

सोंचता…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 10:59am — 2 Comments

खरामा - खरामा

खरामा - खरामा चली जिंदगी,

खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,

खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,

खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:30am — 10 Comments

ग़ज़ल - प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)

वज्न : 2122, 1122, 1122, 22

चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,

फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,

चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,

धूप…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 17, 2013 at 11:23am — 16 Comments

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,

लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,

सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,

आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:00am — 10 Comments

दानव का किरदार ले गए

जीने के आसार ले गए,

जीवन का आधार ले गए,

भूखों की पतवार ले गए,

लूटपाट घरबार ले गए,

छीनछान व्यापार ले गए,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 11:59am — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service