For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे : अरुन शर्मा 'अनन्त'

मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।
बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।

ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।

सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 7:48pm

प्रिय अरुण जी 

एक एक दोहा सुन्दर चिंतन व सज्जनतापूर्ण आचरण को प्रस्तुत करता है..

इस सार्थक, और सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:47am

आदरणीय एडमिन महोदय कृपया ये दो दोहे आदरणीय सौरभ सर के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ठीक कर दें. आपका आभारी रहूँगा.

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान..भले-बुरे का ज्ञान  संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:46am

आदरणीय श्री सौरभ सर आपकी उर्जा स्वरुप टिपण्णी पाकर गद गद हूँ आपको दोहे पसंद दोहे सार्थक हुए.

वास्तविकता यही है कि आपकी प्रतीक्षा रहती है कब रचना आपकी दृष्टि से होकर गुजरेगी. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू भाई जी, आदरणीय अनुराग जी, आदरणीय वैद्यनाथ जी, आदरणीय आशुतोष जी, आदरणीय सत्यनारायण जी, आदरणीय रमेश जी, अनुज राम भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:39am

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आदरणीय गोपाल नारायण जी, आदरणीय अरुन अभिनव भाई जी, आदरणीय गिरिराज जी,आदरणीय जीतेंद्र जी, आदरणीय सुशील भाई जी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 11:38am

आदरणीय श्याम नारायण जी हार्दिक आभार आपका

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:37am

आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी बहुत ही सुन्दर दोहे /// हार्दिक बधाई आपको///सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 8:38pm

ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।

सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।

सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।

हय-हय हय-हय.. . भाई अरुन अनन्तजी, उपरोक्त दोहों पर बस झूम गया. मोह् लिया आपने भइया.

बहुत खूब ! बहुत-बहुत खूब !!

उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान..भले-बुरे का ज्ञान  संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 16, 2013 at 8:30pm

बहुत ही सुंदर दोहे आदरणीय अरूणजी, बधाई बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
41 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
44 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
45 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service