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बसंत के दोहे : अरुन अनन्त

बदला है वातावरण, निकट शरद का अंत ।
शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।

अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।

धरती का सुन्दर खिला, दुल्हन जैसा रूप ।
इस मौसम में देह को, शीतल लगती धूप ।३।

डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान ।४।

पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग ।५।

गेहूँ की बाली मगन, इठलाये अत्यंत ।
पुरवाई भी झूमकर, गाये राग बसंत ।६।

पर्व महाशिवरात्रि का, पावन और विशेष ।
होली करे समाज से , दूर बुराई द्वेष ।७।

अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरें का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़ ।८।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:17pm

दोहे आज ज्यादा अच्छे लगे, पूछेंगे क्यों. आज सिखने के कारण मात्र आदी गौर से देखी 

बधाई 

स्नेही अनन्त जी 

सादर 

Comment by Vindu Babu on February 26, 2014 at 12:40am

समसामयिक सुहावना परिदृश्य का सुंदर वर्णन कर रहे हैं दोहे।

मनमोहक प्रकृति का चित्रण बढ़िया हुआ है।

सादर बधाई आदरणीय अरुन भाई जी।

Comment by vijay nikore on February 20, 2014 at 2:18am

बहुत ही सुन्दर दोहे हैं... हार्दिक बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2014 at 4:59pm

अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरें का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़

अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुरा

दोहे तो सभी पसंद आये पर इन दो दोहों के लिए बिशेस्श रूपसे बधाई स्वीकार करें 

अरुण जी वाकई कमाल के दोहे ..आनंद आ गया ..DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD

Comment by कल्पना रामानी on February 11, 2014 at 10:17am

डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान 

पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग...

बसंत के स्वागत में शानदार दोहे, बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण अनंत  जी  

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:51pm

आदरणीय नीरज भाई जी आपकी टिपण्णी ने दिल खुश कर दिया एक रचनाकार को और क्या चाहिए बहुत बहुत आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:50pm

आदरणीया प्राची दीदी दोहे आपको पसंद आये सार्थक हुए आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:50pm

आदरणीय श्री सौरभ सर प्रत्येक रचना पर आपकी प्रतीक्षा रहती है. आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया से मुग्ध हूँ और अपनी त्रुटी भी समझ आ गई है, ह्रदय से आपका आभार व्यक्त करता हूँ आपका सानिध्य यूँ ही सदैव प्राप्त होता रहे. त्रुटियों को ठीक करने का प्रयत्न करता हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:44pm

आदरणीय अनिल जी हार्दिक आभार आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

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