For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Prabha Khanna
  • Female
  • India
Share on Facebook MySpace

Prabha Khanna's Friends

  • राज़ नवादवी
  • Er. Pawan Kumar Shukla
  • mohinichordia
  • Ananda Shresta
  • Gyanendra Nath Tripathi
  • इमरान खान
  • prabhat kumar roy
  • Shanno Aggarwal
  • moin shamsi
  • राज लाली बटाला
  • Hilal Badayuni
  • आशीष यादव
  • विवेक मिश्र
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • Rash Bihari Ravi
 

Prabha Khanna's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Faizabad
Native Place
Faizabad
Profession
Running a small boutique at my place.
About me
I am a widow-woman, mother of a teenage son. Like reading and writing.

Prabha Khanna's Photos

  • Add Photos
  • View All

Prabha Khanna's Blog

बादल ने पूछा मानव से

बादल ने पूछा मानव से :

क्यों वृक्षों को काट दिया ?



धरती माँ का धानी आँचल

सौ टुकड़ों में बाँट दिया !



बन जायेंगे उन पेड़ों से कुछ खिड़की , कुछ दरवाज़े ...

देते रहना फिर बारिश की बूंदों को तुम आवाज़े ...



मानव ! तुमको कंक्रीट के जंगल बहोत सुहाते हैं ,

बोलो , क्या उनमें सावन के मोर नाचने आते हैं ?



बिन बरसे बादल लौटे तो धरती शाप तुम्हें देगी -

तपती , गरम हवा , सूखी नदिया संताप तुम्हें देगी !



वृक्ष धरा का आभूषण हैं , वृक्ष…

Continue

Posted on September 26, 2012 at 3:30pm — 4 Comments

हल नहीं होते हैं कुछ मुश्किल सवाल...

हल नहीं होते हैं कुछ मुश्किल सवाल ......

मसअले नाज़ुक हैं , टाले जायेंगे .......



ये शहर पत्थर का और हम काँच के ......…

Continue

Posted on August 21, 2011 at 4:30pm — 10 Comments

ज़ेहन मे दीवार जो सबने उठा ली है

ज़ेहन मे दीवार जो सबने उठा ली है,

रातें भी नही रोशन, शहर भी काली है |



मालिक ने अता की है, एक ज़िंदगी फूलों सी,

काँटों से बनी माला क्यूँ कंठ मे डाली है |



कैसी ये तरक्की है , कैसी ये खुशहाली है,

पैसे से जेब भारी, दिल प्यार से खाली है |



दर्द फ़क़त अपना ही दर्द सा लगता है,

औरों के दर्द-ओ-गम से आँख चुरा ली है |



किस-किस को सुनाएँगे अफ़साना-ए-हयात अब,

बेहतर है खामोशी, जो लब पे सज़ा ली है |

  • रावी…
Continue

Posted on July 18, 2011 at 7:00pm — 11 Comments

ये तेरी ज़द मे रहता है

ये तेरी ज़द मे रहता है , तू अपनी हद मे रहता है ........

परिंदा दिल का कब खींची हुई सरहद मे रहता है ........

सफ़र अब तय नही होता ... चलो अब लौट जाते हैं ........

अगर… Continue

Posted on June 28, 2011 at 6:50pm

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:50pm on July 8, 2011, Ananda Shresta said…

Thank You for accepting my friend request . I can understand hindi except some difficult word and urdu mixed . Hope our friedship long lasts..

 

At 10:26am on June 22, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:51am on June 20, 2011, Admin said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service